By अमृता गोस्वामी | Jun 10, 2022
एक समय था जब फिल्मों में खलनायक इतना प्रधान होता था कि नायक से अधिक चर्चे खलनायक के होते थे। ऐसे ही समय के खलनायक रहे हैं जीवन, जिन्होंने अपने जीवंत अभिनय से फिल्मी पर्दे पर वह वह छाप छोड़ी कि उनकी छवि विलन की बन गई। आपको बता दें कि फिल्मों में अभिनय भले ही जीवन ने विलन का किया हो लेकिन असली जिन्दगी में वह हीरो थे, अत्यंत शालीन, खुशमिजाज और लोगों की भलाई करने वाले।
कहा जाता है कि एक उच्च कोटि का कलाकार उच्च ही होता है फिर चाहे उसे भूमिका कोई भी मिले। उस समय धार्मिक फिल्मों का प्रचलन था, धार्मिक फिल्मों में जब जीवन को नारद की भूमिका निभाने का मौका मिला तो वह इस भूमिका में इतने फिट बैठे कि नारद मुनि के रूप में आत्मसात हो गए। जीवन को नारद की भूमिका में इतना पसंद किया गया कि इसके बाद तो जब भी कोई फिल्मकार नारद मुनि पर फिल्म बनाता तो वह जीवन को ही इस किरदार के लिए बुलाता। जीवन ने बॉलीवुड सहित अलग-अलग भाषाओं की 61 फिल्मों में नारद मुनि का किरदार निभाया। सबसे अधिक बार नारद मुनि की भूमिका निभाने का उनका रिकार्ड ‘लिम्का बुक ऑफ रिकाडर्स’ में दर्ज है।
जीवन कहते थे कि फिल्मों में विलन के किरदार में उन्होंने जितने पाप किए थे, नारद की भूमिका में उससे अधिक बार नारायण-नारायण बोलकर उन्हें धो लिया। नारद मुनि का रोल करते समय जीवन सिर्फ शाकाहारी भोजन ही लिया करते थे।
जीवन का जन्म एक कश्मीरी परिवार में 24 अक्टूबर 1915 को हुआ था। उनका असली नाम ओंकार नाथ धार था। बहुत छोटी महज तीन साल की उम्र में ही जीवन के माता-पिता का निधन हो गया था। वह एक संयुक्त परिवार में रहते थे, उनके 24 भाई बहिन थे।
जीवन जब 18 साल के थे, उस समय में फिल्मों में एक्टिंग का इतना क्रेज था कि फिल्मों का शौक रखने वाला लगभग हर व्यक्ति फिल्मी कलाकारों में अपनी छवि देखता था और खुद भी फिल्मी दुनिया में भाग्य अजमाने का ख्वाब रखता था, यही वजह थी कि बॉलीवुड में तब ऐसे बहुत से कलाकार हुए हैं जिन्होंने घर से इजाजत मिले बिना भी घर से भागकर फिल्मों में अपना कॅरियर बनाने मुंबई की ओर रूख किया। ‘जीवन’ भी फिल्मों में अभिनय का ऐसा ही शौक रखते थे और घर से इजाजत न मिलने के बावजूद वह घर से भागकर फिल्मों में भाग्य अजमाने मुंबई आ गए। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जीवन जब मुंबई आए तो उनकी जेब में सिर्फ 26 रुपए थे।
फिल्मों में अभिनय का ख्वाब लिए मुंबई आए जीवन को शुरुआत में काफी समय संघर्ष करना पड़ा, उन्होंने डायरेक्टर मोहनलाल सिन्हा के स्टूडियो में रिफ्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का काम किया और जब मोहनलाल सिन्हा को पता चला कि जीवन फिल्मों में अभिनय की रूचि रखते हैं तो उन्होंने 1935 में बनी अपनी फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ में जीवन को विलन का रोल दिया। ‘फैशनेबल इंडिया’ जीवन की पहली फिल्म थी, इस फिल्म में जीवन का अभिनय कमाल का रहा, जिसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, फिल्मों में उन्हें लगातार रोल मिलते रहे।
दुबली-पतली काया, लंबे कद और संवाद बोलने की अपनी विशेष स्टाइल के चलते जीवन ने फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में ही जीवन जान गए थे कि उनका चेहरा हीरो लायक नहीं है इसलिए उन्होंने खलनायकी के अभिनय को स्वीकारा और एक लंबे समय तक इस किरदार में वह सफल भी हुए।
हिन्दी सिनेमा में जीवन 60, 70 और 80 के दशक के एक पॉपुलर विलन रहे। इस बीच उन्होंने एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्मों में सुपर अभिनय कर वो नाम हासिल किया कि उनके अभिनय को आज भी लोग दोहराते हैं। स्वामी, कोहिनूर, शरीफ बदमाश, अफसाना, स्टेशन मास्टर, अमर अकबर एंथनी, धर्म-वीर नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस, नया दौर, दो फूल, वक्त, हमराज, बनारसी बाबू, गरम मसाला, धरम वीर, सुहाग, नसीब और गिरफ्तार जीवन की यादगार फिल्में हैं।
10 जून 1987 को 71 साल की उम्र में जीवन का निधन हो गया। गौरतलब है कि जीवन के बेटे किरण कुमार भी हिन्दी सिनेमा के मशहूर एक्टर हैं। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने भी कई फिल्मों में विलन की भूमिका निभाई।
अमृता गोस्वामी