बदायूँ की सीट गंवाने के बावजूद भी मोदी कैबिनेट में शामिल हुए BL Verma

By Anoop Prajapati | Jun 18, 2024

लोकसभा चुनाव में बदायूँ जिले की सीट गंवाने के बाद सांसद की कमी को पूरा करने के लिए राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा को मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में लगातार दूसरी बार भी शामिल कर लिया गया। उन्हें सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अलावा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि लोधी वोटरों में पकड़ बनाए रखने के लिए इन्हें दोबारा मौका दिया गया है। पिछले ढ़ाई साल से वह सहकारिता विभाग के राज्यमंत्री थे जिसके कैबिनेट मंत्री अमित शाह रहे। उनके साथ काम करके मोदी और शाह के विश्वसनीय नेताओं में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे जिसका उन्हें फायदा मिला है।


बीएल वर्मा का जन्म 7 अगस्त 1961 ज्योरा पारवाला उझानी में हुआ था। 1980 में उन्होंने आरएसएस के खंड कार्यवाह व तहसील प्रमुख के रूप में सामाजिक जीवन के सफर की शुरुआत की थी। बीएल वर्मा को पिछले साल ही बीजेपी ने राज्यसभा का टिकट देकर संसद भेजा। बीएल वर्मा उत्तर प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह  के करीबी भी माने जाते रहे हैं। 1984 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला महामंत्री बने। इसके बाद वह लगातार संगठन के लिए कार्य करते रहे और 1997 में भाजयुमो के प्रदेश मंत्री बने। 2003 से 2007 तक वह भाजपा के प्रदेश मंत्री भी रहे। जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी और जन क्रांति पार्टी बनाई, तब बीएल वर्मा को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।


बीएल वर्मा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के स्टार प्रचारक होने के नाते पूरे प्रदेश में चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। लोधे-राजपूत बहुल सीटों पर उनका स्ट्राइक रेट बेहतरीन रहा। मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में वह प्रचार करने गए थे। पिछड़े समुदाय के मतदाताओं की अधिकता वाली सीटों पर उन्होंने पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया था। तेलंगाना में भी प्रचार को पहुंचे थे। भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह के सहकारिता मंत्रालय में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया तो वह उनकी उम्मीदों पर भी खरे उतरे। पूर्वोत्तर के राज्यों में खासकर विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर उनकी निगरानी में भी बीएल वर्मा का अहम रोल रहा। 


पिछले कार्यकाल में राज्यमंत्री के रूप में बीएल वर्मा ने भाजपा के सहकार से समृद्धि की ओर अभियान को मजबूती प्रदान की थी। चर्चा तो उनके नाम की उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने की भी चली थी, लेकिन उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में स्थान मिलना यह भी साबित कर रहा है कि उन्होंने सत्ता और संगठन को वरीयता प्रदान की। पार्टी नेतृत्व इस तथ्य से बखूबी वाकिफ है। लोकसभा चुनाव में एटा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह की हार को लेकर राजनीतिक स्तर पर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया था। इसके विपरीत, पार्टी नीतियों के जानकार बताते हैं कि राजवीर सिंह अगर जीत भी जाते तो भी भाजपा एक ही परिवार के दो सदस्यों को एक साथ सत्ता सुख प्रदान नहीं करती। राजवीर सिंह के बेटे संदीप सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं तो उन्हें केंद्र में मंत्री पद कैसे नसीब हो पाता। इस हालात में बीएल वर्मा का दावा शुरू से ही मजबूत रहा।

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