चंडीगढ़। भूलथ से कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा ने चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार छीनने के भाजपा केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का है और यह एकतरफा फैसला न केवल संघवाद पर सीधा हमला है बल्कि केंद्र शासित प्रदेश पर पंजाब के 60 फीसदी नियंत्रण पर भी हमला है।
चंडीगढ़ के कर्मचारियों को अपने अधीन करके केंद्र ने पंजाब के अधिकारों पर एक और बड़ा डाका डाला है क्योंकि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है, था और रहेगा। भाजपा की केंद्र सरकार ने अपना कानून लागू करते हुए कहा है कि आगाह से चंडीगढ़ की भर्ती में हम यूपी, बिहार आदि के अफसरों पर थोपेगी। जिन राज्यों को न तो पंजाबी आती है और न ही वे पंजाब के डोमिसाइल (डोमिसाइल) हैं। मुझे दुख है कि AAP की पंजाब सरकार अब तक बोल क्यों नहीं रही?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल चंडीगढ़ का दौरा किया था जहां उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही केंद्र सरकार के सेवा नियमों को चंडीगढ़ में लागू करेगी। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि निकट भविष्य में इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की जाएगी। खैरा ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि चंडीगढ़ में तैनात कर्मचारी अब पंजाब सेवा नियमों के अधीन नहीं होंगे।वह भाजपा को याद दिलाना चाहते थे कि चंडीगढ़ की स्थिति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था क्योंकि पंजाब ने हमेशा इसे राज्य की राजधानी के रूप में बदलने की मांग की थी। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते के दौरान भी चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को जायज और समर्थन दिया गया था।
खैरा ने भाजपा सरकार से पूछा कि क्या वह चंडीगढ़ में कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती करते समय पंजाब के निवासियों और पंजाबी भाषा का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार के साथ विश्वासघात है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि भाजपा सरकार एकतरफा चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय नियमों को लागू करे।घोर भेदभाव के मुद्दे को और सख्ती से उठाएं। खैरा ने कहा कि मान को इस पर स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाना चाहिए क्योंकि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर होगा।