By अंकित सिंह | Sep 23, 2023
राहुल गांधी ने शुक्रवार को खेद व्यक्त किया कि यूपीए सरकार ने अपने महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी उप-कोटा पेश नहीं किया था, और स्वीकार किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के तहत भी शीर्ष नौकरशाही में पर्याप्त ओबीसी प्रतिनिधित्व नहीं था। राहुल ने संसद में जो कहा था उसे दोहराया कि वह यह देखकर हैरान रह गए कि केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं जो शासन का प्रबंधन करते हैं। इसके बाद वह भाजपा के निशाने पर आ गए है। भाजपा लगातार उनसे सवाल कर रही है।
महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मैंने कल राहुल गांधी का बयान सुना...कांग्रेस स्वभाव से ओबीसी विरोधी रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने ही ओबीसी आयोग बनाया और उन्हें संवैधानिक मान्यता दी। उन्होंने नीट और नौकरियों में ओबीसी को आरक्षण दिया। आप दशकों तक सत्ता में थे और तब आपने कुछ नहीं किया। अमित शाह ने कहा कि इनके अनुसार देश सचिव चलाते हैं, हमारे अनुसार देश सरकार चलाती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश को लेकर कैबिनेट निर्णय लेती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में 29 प्रतिशत सांसद ओबीसी के हैं। तुलना करना है तो आ जाइए... मंत्री भी 29 ओबीसी कैटेगरी के हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से देश को पहला ओबीसी प्रधानमंत्री दिया गया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जाति आधारित जनगणना से ध्यान भटकाने के लिए महिला आरक्षण विधेयक वर्तमान स्वरूप में पारित किया गया जो तत्काल लागू नहीं हो सकता। राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार को महिला आरक्षण विधेयक तत्काल लागू करना चाहिए। उन्होंने यह आग्रह भी किया कि सरकार जाति आधारित जनगणना कराए और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय हुई जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं। उन्होंने कहा, महिलाओं को आरक्षण आज ही दिया जा सकता है, लेकिन सरकार वह नहीं करना चाहती है। यह ध्यान भटकाने की कोशिश है। ओबीसी की जनगणना से ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताना चाहिए कि भारत सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन सचिव ही ओबीसी वर्ग से क्यों हैं?