By अनुराग गुप्ता | Jan 16, 2022
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर (शहरी) और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू से चुनावी मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से पिछड़ा विरोधी होने के लगाए जा रहे आरोपों के बीच भाजपा ने एक ऐसा दांव खेला जिसने सभी को चौंका दिया। भाजपा ने 105 उम्मीदवारों की पहली सूची में बेबी रानी मौर्य, जयवीर सिंह और सहेंदर सिंह रमाला को भी शामिल किया।
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक केशव मौर्य एक जाटव हैं। प्रदेश की पूरी दलित आबादी में आधी आबादी जाटवों की है, जो लंबे समय तक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को एक बड़ा वोट बैंक रहा है। क्योंकि यह दलित की उप-जाति है, जिससे बसपा प्रमुख मायावती आती हैं।
वहीं बसपा के दिग्गज नेता रहे जयवीर सिंह ने योगी आदित्यनाथ के लिए उत्तर प्रदेश विधान परिषद का रास्ता बनाने का काम किया था और इसके लिए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था और वो ठाकुर हैं। उन्हें पार्टी ने अलीगढ़ की बरौली सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने भाजपा के मौजूदा विधायक दलवीर सिंह की जगह ली है।
रालोद ने जीती थी एकमात्र सीट
इसके अलावा सहेंदर सिंह रमाला एक जाट हैं, जिन्होंने साल 2018 में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को अलविदा कहते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में रालोद ने एकमात्र सीट जीती थी और वो जीतने वाले सहेंदर सिंह रमाला ही थे।
राजनीतिक विशेषज्ञ इसे भाजपा के दलित जाट-ठाकुर समाजिक समीकरण के तौर पर देख रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को सपा-रालोद गठबंधन का सामना करना है, ऐसे में यह समीकरण पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। हालांकि सपा को मुस्लिम समुदाय से और रालोद को जाट मतदाताओं से समर्थन मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा ने अपनी पहली सूची में एक भी मुसलमान को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।
भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य आगरा (ग्रामीण) सीट से चुनाव लड़ेंगी। जो धोबी उप-जाति से आने वाली भाजपा विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाहा की जगह लेंगी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हेमलता दिवाकर कुशवाहा ने बसपा के कालीचरण सुमन को करीब 65,000 वोट से हराया था और करीब 52 फीसदी वोट पर कब्जा किया था।
गौरतलब है कि भाजपा की पहली सूची में 19 दलितों को टिकट दिया गया है और इनमें से 13 जाटव हैं। इतनी संख्या में जाटवों को भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने को बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कभी बसपा का वोटबैंक भी दमदार था।