important election issues: झारखंड चुनाव में भाजपा ने खेला मुस्लिम कार्ड, जानिए सियासी समीकरण

By अनन्या मिश्रा | Nov 04, 2024

झारखंड विधानसभा चुनाव में जैसे-जैसे सियासी दलों का प्रचार जोर पकड़ रहा है। वैसे-वैसे राज्य में मुसलमान का मुद्दा भी गरमाने लगा है। भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता किसी न किसी बहाने लगातार इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं। राज्य के गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे का कहा है कि राज्य की मुस्लिम आबादी में 11 फीसदी 'बांग्लादेशी घुसपैठिए' हैं। उन्होंने कहा कि साल 1951 में मुस्लिमों की आबादी 9 फीसदी थी। लेकिन आज राज्य में यह आबादी 24 फीसदी है। देश में मुसलमान आबादी 4 फीसदी बढ़ा है, लेकिन संथाल परगना में मुस्लिम आबादी 15 फीसदी बढ़ी है। दुबे ने कहा कि यह 11 फीसदी बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं, जिनको राज्य सरकार अपनाए हुए है।  


जब झारखंड में चुनावी माहौल जोर पकड़ रहा था, उसी दौरान पीएम मोदी ने झारखंड के जमशेदपुर में भाजपा की परिवर्तन रैली में मुस्लिम घुसपैठ का मुद्दा उठाया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि संथाल परगना और कोल्हान के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशियों की घुसपैठ असली खतरा बन कर उभरा है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने वोट बैंक की खातिर इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद बीजेपी ने इस मुद्दे को शांत नहीं होने दिया।

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पीएम के बयान के बाद अमित शाह, शिवराज सिंह चौहान, हिमंत बिस्वा सरमा समेत अन्य कई भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि राज्य में भाजपा की सरकार बनीं, तो यहां NRC लागू होगा। झारखंड बने 24 साल हो गए हैं। जिनमें से 13 साल बीजेपी का राज्य रहा है। लेकिन राज्य में पार्टी की मुश्किल यह है कि उससे आदिवासी वोट छिटक रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम कार्ड खेल रही है।


राज्य में मुसलमानों के नाम पर राजनीति हो रही है। सत्ताधारी गठबंधन पर बीजेपी तुष्टिकरण के आरोप लगाती रही है। लेकिन राजनीति हमेशा से मुस्लिम हाशिए पर रही है। जब से यह राज्य बना है, तब से मुस्लिमों की राजनीतिक हैसियत बढ़ने की जगह कम हुई है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशियों को पिछले चुनावों के मुकाबले सबसे कम वोट दिया था। वहीं इस बार की स्थिति भी अलग नहीं है।

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