By अनन्या मिश्रा | Oct 13, 2023
राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे मजबूत किला दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र माना जाता है। लेकिन इस साल इस विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी ज्यादा दिलचस्प होने वाला है। बता दें कि इस चुनाव में पति-पत्नी एक-दूसरे को चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर देते नजर आ सकते हैं। सीकर की दांतारामगढ़ विधानसभा सीट पर 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें से 9 बार कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा है। वहीं इस सीट पर कांग्रेस के नारायण सिंह चौधरी ने 7 बार जीत हासिल की है। वर्तमान में उनके विधायक बेटे विजेंद्र सिंह इस सीट से विधायक हैं।
दांतारामगढ़ विधानसभा की खासियत
दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक भैरो सिंह शेखावत थे। भैरो सिंह शेखावत बाद में राजस्थान के मुख्यमंत्री और देश के उपराष्ट्रपति भी बने थे। इस सीट से नारायण सिंह 7 बार विधायक चुने गए थे। दांतारामगढ़ से पहली बार नारायण सिंह 1972 फिर 1980, 1985, 1993, 1998, 2003 और फिर 2013 में विधायक चुने गए थे। लेकिन अब तक के चुनावी इतिहास में यह सीट बीजेपी फतह नहीं कर पाई है।
दिलचस्प है 2023 का विधानसभा चुनाव
इस साल यानी की 2023 के विधानसभा चुनाव में दांतारामगढ़ में बेहद ही दिलचस्प मुकाबला हो सकता है। जहां इस क्षेत्र से नारायण सात बार विधायक रह चुके हैं, तो वहीं अब उनके बेटे विजेंद्र सिंह भी यहां से विधायक हैं। ऐसे में अनुमान जताया जा रहा है कि विजेंद्र सिंह के सामने उनकी पत्नी पत्नी रीटा सिंह चुनावी ताल ठोक सकती हैं। हाल ही में रीटा सिंह ने जननायक जनता पार्टी का साथ चुना है। ऐसे में उन्हें महिला मोर्चा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजस्थान में बीजेपी और जेजेपी एक साथ आ सकती हैं। साथ ही संयुक्त रूप से रीटा सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकती हैं। वहीं बीजेपी में ऐसा कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता है, जो विजेंद्र सिंह के सामने चुनावी मैदान में उतरकर उस किले को जीत सके।
जातीय समीकरण
इस विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की सबसे ज्यादा आबादी है। इसके बाद कुमावत समुदाय के लोगों की संख्या आती है। हालांकि पिछली बार बीजेपी ने कुमावत उम्मीदवार उतार कर दांव खेला था। लेकिन बीजेपी का यह दांव सफल नहीं हो सका था। ऐसे में दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र जाट मतदाता किंगमेकर की भूमिका निभाते हैं।
14वां विधानसभा चुनाव 2018
साल 2018 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से 7 बार विधायक रह चुके नारायण सिंह के विरेंद्र सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे। वहीं भाजपा ने इस सीट से हरीश चंद कुमावत पर दांव चला था। लेकिन बीजेपी के हरीश चंद कुमावत को विरेंद्र सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के विरेंद्र सिंह को 64,931 वोट मिले तो वहीं बीजेपी के हरिश्चंद्र भी 34,011 वोट बटोरने में कामयाब हुए थे।