तिरुवनंतपुरम।
कांग्रेस नेता
राहुल गांधी ने मंगलवार को तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि
भाजपा सरकार का उद्देश्य किसानों के बाजार को नष्ट करना है, उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना नहीं। गांधी ने कहा कि पहले दो कानून देश के कृषि क्षेत्र को नष्ट करते हैं, वहीं तीसरा किसानों को न्याय से वंचित करता है। वह यहां विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के नेतृत्व में 22 दिवसीय ऐश्वर्या यात्रा के समापन पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पहला कानून किसानों के बाजार को नष्ट करता है। दूसरा सबसे अमीर को जितना मर्जी उतना अनाज खरीदने और असीमित जमाखोरी करने की अनुमति देना है। ये दो कानून उन्हें अनाज और सब्जियों की कीमत को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उनका (सरकार) केवल एक ही उद्देश्य है, किसान को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिले, मध्यम वर्ग, किसान, श्रमिकों, सभी को अधिक भुगतान करना पड़े।’’ गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘इसलिए लाखों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने क्या कहा? वे आतंकवादी हैं।’’ कांग्रेस नेता ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कम कीमत होने के बावजूद ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर निशाना साधा और दावा किया कि दोनों सरकारें देश में अमीरों को पैसे दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम है लेकिन भारत में, पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ रही हैं। आपकी जेब से हर दिन हजारों करोड़ रुपये लिए जा रहे हैं। यह पैसा कहां जा रहा है? यह पैसा किसको दिया जा रहा है?’’
गांधी ने कहा, ‘‘यह इस देश के सबसे अमीर लोगों को दिया जा रहा है।’’ वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हर दिन, जब आप अपने वाहन में यात्रा करते हैं, तो यह याद रखें कि केंद्र और राज्य दोनों ही आपसे पैसे लेकर इस देश के सबसे अमीर लोगों को दे रहे हैं। यह वह राजनीति है जिसे हम बदलने की कोशिश कर रहे हैं। हम गरीबों के लिए काम करना चाहते हैं। हमारे संगठन या सबसे धनी लोगों के लिए नहीं। हम में और अन्य लोगों में यही अंतर है।’’ उन्होंने कहा कि यात्रा राज्य के किसानों, छात्रों, मछुआरों, बुजुर्गों और महिलाओं को सुनने का एक मौका थी। चेन्निथला की अगुवाई में राज्यव्यापी यात्रा 31 जनवरी को कासरगोड जिले के मंजेस्वरम से शुरू हुई और रविवार को यहां पास के पारस्सला में समाप्त हुई।