By अंकित सिंह | May 13, 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर वोटों की गिनती जारी है। अब तक के रुझानों के मुताबिक कर्नाटक में कांग्रेस से अपने दम पर सरकार बनाती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस को 117 सीटें मिलती दिख रही है। वहीं, भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है और भाजपा 75 सीटों पर फिलहाल स्थिर है। हालांकि, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार पार्टी के लिए 2024 से पहले बड़ा झटका है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में जबरदस्त तरीके से प्रचार किया था। इसके अलावा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व भी कर्नाटक में लगातार मजबूती से चुनावी प्रचार में जुटा हुआ था। बावजूद इसके कांग्रेस लोगों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने में कामयाब हुई। तभी तो रुझान फिलहाल उसके पक्ष में जाते दिख रहे हैं।
कांग्रेस की जीत को लेकर तरह-तरह की बातें तो की ही जा रही है। लेकिन अब चर्चा इस बात को लेकर भी होनी शुरू हो गई है कि कर्नाटक में भाजपा को हार क्यों मिल रही है? पहला सवाल तो यही पूछा जा रहा है कि भाजपा का जो फार्मूला गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में सुपरहिट हुआ, आखिर वह कर्नाटक में कैसे फेल हो गया? दरअसल, कर्नाटक की ही तरह गुजरात, त्रिपुरा और उत्तराखंड में भाजपा ने मुख्यमंत्री बदल दिए थे। गुजरात में विजय रुपाणी को हटाकर भाजपा ने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था। उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक तरफा बहुमत हासिल की थी। उत्तराखंड में भी भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत और तीरथ रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया। फिर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया और उसके बाद उत्तराखंड में भाजपा इतिहास रचने में कामयाब हुई।
यही हमने त्रिपुरा में भी देखा त्रिपुरा में भी देखा। भाजपा ने त्रिपुरा में बिप्लब देव को मुख्यमंत्री पद से हटाया। उनकी जगह मानिक शाहा को मुख्यमंत्री बनाया और विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की। कर्नाटक में भी भाजपा ने ठीक ऐसा ही किया था। कर्नाटक में वरिष्ठ नेता बीएस येदयुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पार्टी ने बसवराज बोम्मई को सत्ता सौंपी थी। लेकिन भाजपा का यह दांव कर्नाटक में उल्टा पड़ गया। हालांकि भाजपा बीएस येदयुरप्पा को फ्रंट फुट पर लेकर चल रही थी। बावजूद इसके भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है। गुजरात, उत्तराखंड में भाजपा ने कई बड़े नेताओं के टिकट काट दिए थे। बावजूद इसके दोनों ही राज्यों में पार्टी को जीत मिली थी। लेकिन कर्नाटक में ऐसा भाजपा की ओर से ऐसा जरूर किया गया था लेकिन यह भी दाव उल्टा पड़ता दिख रहा है