By अंकित सिंह | Sep 18, 2021
इस सप्ताह कई बड़ी खबरें चर्चा में रही। लेकिन प्रभासाक्षी के कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने गुजरात के राजनीतिक घटनाक्रम और योगी आदित्यनाथ के 350 सीट जीतने वाले बयान पर चर्चा की। इसके अलावा अमरिंदर सिंह और पंजाब के राजनीतिक हालात पर भी हमने चर्चा की। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे भी मौजूद रहे। गुजरात के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर नीरज दुबे ने साफ कहा कि जिस तरह से भाजपा ने वहां पूरा का पूरा नेतृत्व परिवर्तन ही कर दिया। उससे पार्टी ने वहां के लोगों में सरकार के खिलाफ पनपी नाराजगी को कहीं ना कहीं कम करने की कोशिश की।
गुजरात के घटनाक्रम पर नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरह से वहां शांति पूर्वक नेतृत्व परिवर्तन हुआ उससे यह पता लगता है कि भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की किस तरह से तूती बोलती है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता ने या फिर विधायक, किसी ने आगे आकर यह नहीं कहा कि हमें मौका नहीं दिया गया और ना ही किसी ने पार्टी के खिलाफ कोई बयान बाजी की। यह दिखलाता है कि किस तरह भाजपा भविष्य की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने नेतृत्व के साथ 2022 के विधानसभा चुनाव में जाना चाहती थी और इसलिए उसने ऐसा किया।
उत्तर प्रदेश के बारे में बात करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि यह बात तो तय है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार वापसी कर रही है। यह भी बात है कि हो सकता है पिछली बार की तरह इस बार उतनी सीटों की संख्या ना रहे। लेकिन कहीं ना कहीं कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए इस तरह के बयान नेताओं की ओर से दिए जाते हैं। नीरज दुबे ने कहा कि पूर्वांचल और उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों में भाजपा अपनी बढ़त बनाए रखेगी हालांकि उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ नुकसान जरूर हो सकता है।
पंजाब के सियासी घटनाक्रमों को लेकर उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं यह आलाकमान के निर्णय नहीं लेने की स्थिति को दिखलाता है। साथ ही साथ अमरिंदर के उस बयान पर भी चर्चा हुई जिसमें उन्होंने किसानों से कहा था कि पंजाब को आंदोलन की वजह से काफी नुकसान हो रहा है और आप हरियाणा या फिर दिल्ली जाकर आंदोलन करिए। नीरज दुबे ने कहा कि अमरिंदर तो राष्ट्रवादी आदमी है। ऐसे में पूरे राष्ट्र के लिए उन्हें सोचना चाहिए। वह एक राज्य के लिए क्यों सोच रहे हैं।
गुजरात में नया CM, नया कैबिनेट
गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात में मुख्यमंत्री बदलते हुए भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री चुना। इतना ही नहीं, भूपेंद्र पटेल के कैबिनेट में जिन मंत्रियों को शामिल किया गया, वह पूरी तरह से नए हैं। भूपेंद्र पटेल के कैबिनेट में विजय रूपाणी कैबिनेट के किसी भी मंत्री को मौका नहीं दिया गया। नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिपरिषद में 24 नए सदस्यों को शामिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में बनाए गए इन नए मंत्रियों में 21 पहली बार मंत्री बने हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मंत्रिपरिषद के नये स्वरूप से महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि पार्टी मतदाताओं का सामना साफ सुथरे चेहरों से करना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों को बधाई दी। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 10 कैबिनेट मंत्रियों और 14 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री भी शामिल हैं। मंत्रिपरिषद में नये सदस्यों को शामिल किये जाने के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल नीत भाजपा सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या बढ़ कर 25 हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती मंत्रिपरिषद के किसी भी सदस्य को नई मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया। राजभवन में आयोजित एक समारोह में दोपहर डेढ़ बजे मंत्री पद की शपथ लेने वालों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी शामिल हैं।
राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले भूपेंद्र पटेल इस दौरान रूपाणी के साथ मौजूद थे। रूपाणी के शनिवार को मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद नई मंत्रिपरिषद का गठन किया गया है। कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वालों में राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, पूर्णेश मोदी, राघवजी पटेल, कनुभाई देसाई, किरीट सिंह राणा, नरेश पटेल, प्रदीप परमार और अर्जुन सिंह चौहान शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें त्रिवेदी, राणा और राघवजी पटेल पहले भी मंत्री रहे हैं। वहीं, नौ राज्य मंत्रियों में मुकेश पटेल, निमिशा सुतार, अरविंद रैयानी, कुबेर डिंडोर, कीर्ति सिंह वाघेला, गजेंद्र सिंह परमार, आर सी मकवाना, विनोद मोरादिया और देव मालम शामिल हैं। मंत्रिपरिषद के गठन में पार्टी ने जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है। पाटीदार समुदाय के नेता भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनने के बाद भाजपा ने पटेल और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में प्रत्येक से छह, अनुसूचित जाति से चार, अनुसूचित जनजाति से तीन, ब्राह्मण और क्षत्रिय से दो-दो तथा जैन समुदाय से एक सदस्य को मंत्री पद दिया है। मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नजदीकी माना जाता है। इसी प्रकार मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए ऋषिकेश पटेल और जगदीश पांचाल को भी आनंदी बेन पटेल का करीबी माना जाता है। कैबिनेट मंत्री बनाए गए राजेंद्र तिवारी और किरीट सिंह राणा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री का करीबी माना जाता है जबकि राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हर्ष सांघवी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल का बेहद करीबी माना जाता है।
भूपेंद्र पटेल नीत गुजरात सरकार में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं
गुजरात में भूपेंद्र पटेल नीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं होंगे, हालांकि विजय रूपाणी नीत पिछली सरकार में नितिन पटेल इसी पद पर थे। गुजरात के 1960 में अस्तित्व में आने के बाद से राज्य में पांच उपमुख्यमंत्री हुए हैं, जिनमें से तीन कांग्रेस नीत सरकारों में थे। नितिन पटेल राज्य में सबसे लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें अगस्त 2016 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। मंत्रिरिषद के शपथ ग्रहण और विभागों के बंटवारे में किसी को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। पार्टी सूत्रों ने कहा, पिछली बार नितिन पटेल को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था क्योंकि यह उस समय की मांग थी। उन्होंने कहा कि 2016 में, जब भाजपा ने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को हटाया था तो उन्होंने नितिन पटेल को अपना उत्तराधिकारी बनाने पर बल दिया था। लेकिन पार्टी चाहती थी कि विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसलिए, नितिन पटेल को समझौता के रूप में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, उन्होंने कहा। सूत्रों ने कहा कि इस बार उपमुख्यमंत्री की जरूरत नहीं थी, इसलिए किसी को यह पद नहीं दिया गया। चिमनभाई पटेल, कांतिलाल घिया और नरहरि अमीन विभिन्न समय पर कांग्रेस सरकारों के दौरान राज्य में उपमुख्यमंत्री थे। भाजपा नेता केशुभाई पटेल 1990 में गठबंधन सरकार के दौरान कुछ महीनों के लिए इस पद पर रहे थे। गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भाजपा ने बृहस्पतिवार को नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की मंत्रिपरिषद में 24 नए सदस्यों को शामिल किया। इनमें से 21 सदस्य पहली बार मंत्री बने हैं।
यूपी में 35 साल से दोबारा सत्ता में नहीं लौटा कोई CM! योगी बोले- मैं लौटूंगा
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। राज्य में सियासी सरगर्मियां लगातार तेज होती चली जा रही हैं। भाजपा, समाजवादी पार्टी, बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी लगातार अपने-अपने दांवे चल रही है तो वहीं कांग्रेस भी अब चुनावी तैयारियों में जुट गई है। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि उनकी सरकार एक बार फिर से सत्ता में दोबारा लौटेगी। एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि उनकी पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में 350 से ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतेगी। इसी मंच से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने विकास का मॉडल रखा और यह भी बताया कि आने वाले चुनाव में वह किस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
इसी दौरान उनसे सवाल किया गया कि उत्तर प्रदेश में 35 साल से कोई मुख्यमंत्री दोबारा चुनकर सत्ता में नहीं लौटा है। इतने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं दोबारा चुनकर आऊंगा, हम तो रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ही आए हैं। सीटों की संख्या पूछे जाने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा इस बार 350 से कम सीट नहीं जीतने वाली, आप इसे नोट करके रख लीजिएगा। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ से उनके हालिया बयान अब्बा जान पर भी सवाल किया गया। योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि मुस्लिम वोट भी चाहिए और अब्बा जान से परहेज भी है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इस बयान के मतलब समझने की जरूरत है वह समझेंगे की ऐसा क्यों कहा।
योगी ने सवाल किया कि क्या अब्बा जान शब्द अगर असंसदीय है तो कोई आकर बता दे? उन्होंने कहा कि मैंने ना ही अखिलेश यादव और ना ही किसी अन्य समुदाय का कोई सीधा संदर्भ में लिया। जिन्हें समझने की जरूरत है उन्हें मेरी बात समझ में आ जाएगी। आपको बता दें कि अब्बा जान वाले बयान पर सीएम योगी को विपक्षी पार्टियां जमकर घेर रही है। अपने साक्षात्कार में योगी आदित्यनाथ में अखिलेश यादव तथा राहुल गांधी पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया है कि विपक्ष के एजेंडे में कभी विकास होता ही नहीं है। मायावती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बहन जी ने कैसा विकास किया कि वह खुद ही अब सफाई दे रही हैं कि मूर्ति नहीं लगाएंगे। प्रियंका गांधी पर भी बरसते हुए योगी ने कहा कि वह तो मई तक उम्मीदवारों की सूची मांग रही हैं तो चुनाव क्या लड़ेंगी? 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों को योगी ने प्रायोजित बताया और कहा कि अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए पिछली सरकार ने निर्दोषों पर मुकदमा दर्ज किए थे।
कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन से मांगा इस्तीफा
पंजाब कांग्रेस में जारी घमासान इस कदर बढ़ गया कि आलकमान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा मांगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ में शाम 5 बजे विधायक दल की बैठक होने वाली है। इस बैठक में नया नेता चुनने का आदेश दिया गया है। हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के खेमे ने इस्तीफे की बात का खंडन कर दिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज 40 विधायकों ने आलाकमान को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई थी। जिसके बाद विधायक दल की बैठक बुलाई गई। वहीं जानकारी मिल रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी विधायक दल की बैठक से पहले विधायकों की बैठक बुलाई है। इस बैठक को मुख्यमंत्री के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा सकता है। सूत्रों के हवाले से एक और जानकारी प्राप्त हुई कि चंडीगढ़ में शाम 5 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक को लेकर कैप्टन ने पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी से फोन पर बात की और गहरी नाराजगी जताई।
- अंकित सिंह