By अभिनय आकाश | Mar 02, 2023
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित होने के बाद भाजपा के पास जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है। भगवा पार्टी ने अपने गठबंधन दलों के साथ त्रिपुरा और नागालैंड दोनों में बहुमत का आंकड़ा पार किया। मेघालय में, मौजूदा मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की एनपीपी ने 60 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की और भाजपा के समर्थन से सत्ता में लौटने की संभावना है, जो राज्य में तीन सीटें जीती है।
नागालैंड: नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो का पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया है। सत्तारूढ़ एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने बृहस्पतिवार को 33 सीट जीतकर 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। इस जीत के साथ रियो ने वरिष्ठ नेता एस सी जमीर का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिन्होंने तीन बार पूर्वोत्तर राज्य का नेतृत्व किया था।
मेघालय: वर्ष 2004 के अपने पहले चुनाव में हार का सामना करने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा एक बार फिर मेघालय के मुख्यमंत्री का पद संभालने की ओर अग्रसर हैं। वर्ष 2004 के बाद से 45 वर्षीय संगमा अपने पिता पीए संगमा की तरह एक शक्तिशाली राजनेता के रूप में उभरे हैं, जो हर चुनाव के बाद मजबूत होते जा रहे हैं। अकेले चुनाव लड़ी बीजेपी ने 2 सीटें जीती हैं।
त्रिपुरा: त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीट जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। पूर्ववर्ती राजघराने के वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा द्वारा गठित टिपरा मोठा पार्टी को 13 सीट मिलीं, जबकि वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 सीट हासिल कीं। देबबर्मा की पार्टी ने जनजातीय क्षेत्र में वाम दल के वोट में सेंध लगाई। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का बेहद खराब प्रदर्शन रहा। टीएमसी ने 28 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली।
कांग्रेस का हाथ रह गया खाली
मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की हार का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब उसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में निराशा मिली है, हालांकि कुछ जगहों के उपचुनावों में जीत उसको थोड़ा सुकून देने वाली है। देश की मुख्य विपक्षी दल को त्रिपुरा में वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयोग भी विफल रहा। उसने ऐसा ही प्रयोग वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी किया था जहां उसका खाता भी नहीं खुल पाया था।