By अंकित सिंह | Oct 04, 2022
दिल्ली में अब बिजली सब्सिडी से जुड़े मामले में अनियमितता को लेकर भाजपा और केजरीवाल सरकार आमने-सामने है। दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल ने डीबीटी के जरिए बिजली सब्सिडी अंतरित नहीं किए जाने की जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके बाद अब भाजपा केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई हैं। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने साफ तौर पर कहा है कि दिल्ली में डिस्कॉम में हुआ बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में विद्युत वितरण कंपनियों की प्रक्रिया में गंभीर भ्रष्टाचार के तथ्य सामने आए हैं। इसमें चार से पांच बिंदु ऐसे हैं जिससे जानने के बाद कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि इसमें व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है।
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि विद्युत वितरण प्राइवेट कंपनियों के बकाए को, केजरीवाल सरकार की प्रारंभिक बैठकों में ही तकरीबन 32 सौ करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी को माफ कर दिया गया। प्रश्न ये उठता है कि यह क्यों किया गया? उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि दिल्ली के नागरिकों को बिजली में जो छूट देने की बात कही गई, वो ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ क्यों नहीं की गई?केंद्र सरकार की तरह डायरेक्ट बेनिफिट के द्वारा क्यों नहीं दी गई, बिचौलिये को क्यों लाया गया? भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगया कि लेट फीस के नाम पर प्राइवेट कंपनियों को 18% वसूल करने का अधिकार दिया गया। तो वही कंपनियां लेट फी के लिए दिल्ली सरकार को केवल 12% ही क्यों दे रही थी?
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विद्युत कंपनियों के बोर्ड में सरकारी अधिकारी नामित होते थे, लेकिन पहली बार आम आदमी पार्टी ने अपनी पार्टी के दो पदाधिकारियों और अपने सांसद के एक बेटे को नामित किया। इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था? वहीं, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार जो भी काम करती है उसकी मंशा उसमें बड़े भ्रष्टाचार की होती है। शराब के लाइसेंस का कमीशन बढ़ाया और उसमें करोड़ों का भ्रष्टाचार किया। ये 'आप' के पाप हैं। सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल सचिवालय को एक शिकायत मिली थी, जिसमें दिल्ली में केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना में खामियों और विसंगतियों को उठाया गया है। डीईआरसी ने 19 फरवरी 2018 को अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार बिजली सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से उपभोक्ताओं को अंतरित करने पर विचार कर सकती है।