By अंकित सिंह | Jan 24, 2022
बिहार में एक साथ मिलकर सरकार चला रहे तीन दल उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सत्ता वापसी करना बड़ी चुनौती है। भाजपा को समाजवादी पार्टी की ओर से कड़ी टक्कर भी मिल रही है। भाजपा ने अच्छे परिणाम के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन उसके अपने ही उसके सामने कई मुश्किलें खड़ी करती दिखाई दे रहे हैं। बिहार में भाजपा के दो सहयोगी जनता दल यू और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने उत्तर प्रदेश में अपने अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिहार की यह दोनों पार्टी भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में खेल बनाएंगे या बिगाड़ेगे?
जदयू की ओर से भाजपा के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन की कोशिश भी की गई थी। हालांकि बात नहीं बन पाई। भाजपा से बात नहीं बनने की स्थिति में जदयू ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जदयू की ओर से 26 सीटों पर अपने प्रत्याशी भी उतारे जा रहे हैं। इन 26 सीटों में ज्यादातर पूर्वांचल की सीटें हैं जहां कुर्मी वोटों की संख्या ज्यादा है। इसके साथ ही इन 26 सीटों में से 22 सीटें ऐसी है जहां भाजपा गठबंधन का कबजा है। इन 22 में से 19 भाजपा के खाते में जबकि तीन पर उसके सहयोगी अपना दल (एस) के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।
मुकेश सहनी भी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने का ऐलान काफी पहले कर चुके हैं। हालांकि मुकेश सहनी के इस फैसले पर उनकी ही पार्टी में आम सहमति नहीं है। उनके पार्टी के ही विधायक मानते हैं कि मुकेश सहनी को अपने उम्मीदवार उत्तर प्रदेश में नहीं उतारने चाहिए। बावजूद इसके मुकेश साहनी के विकासशील इंसान पार्टी ने यूपी चुनाव में पूरा दमखम लगाया है। मुकेश सहनी अब तक 30 प्रत्याशी उतार चुके हैं। मुकेश सहनी का पूरा फोकस पूर्वांचल और बुंदेलखंड है जहां पर निषाद वोट काफी अहम भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने निषाद वोटों के लिए संजय निषाद से गठबंधन किया है। ऐसे में मुकेश सहनी की पार्टी कहीं ना कहीं भाजपा को नुकसान करा सकती है।