चौधरी चरण सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते थे राजेश पायलट, किसानों से मिलने में हुई देरी के चलते बची थी जान

By अनुराग गुप्ता | Feb 10, 2022

नयी दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1971 में हुए युद्ध में अहम किरदार निभाने वाले राजेश्वर प्रसाद विधूरी को 80 के दशक में लुटियन्स दिल्ली काफी ज्यादा भा नई थी और उन्होंने राजनीति में आने निर्णय किया। इसके लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की। वो ऐसा दौर था जब इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी नौजवानों को काफी महत्व दिया करते थे। उस वक्त राजेश्वर प्रसाद विधूरी, जो बाद में राजेश पायलट के नाम से जाने गए ने बागपत से चौधरी चरण सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। इस पर इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था कि आप तो गुर्जर हैं और आप जाट बाहुल्य इलाके में चुनाव लड़ना चाहते थे, आपको हिंसा से डर नहीं लगता, लाठियां चल जाएंगी। तब राजेश पायलट ने कहा था कि मुझे बम से डर नहीं लगा तो लाठियां क्या हैं... 

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इंदिरा गांधी से मुलाकात के जब कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आई तो राजेश पायलट काफी निराश हुए क्योंकि बागपत से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। इसके बावजूद उन्होंने अपना हौसला कम नहीं होने दिया और देखते ही देखते एक रोज संजय गांधी के दफ्तर से राजेश पायलट के घर पर फोन पहुंचा लेकिन उस वक्त वो घर पर नहीं थे और जब उन्हें इसकी सूचना मिली तो वो गांधी परिवार से मुलाकात करने चले गए और उस वक्त कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें भरतपुर जाने का आदेश दिया।

गांधी परिवार के खाशमखास थे राजेश पायलट

करीब डेढ़ दशक तक फाइटर पाटलट के तौर पर कार्यरत रहने वाले राजेश पायलट ने साल 1980 में नौकरी को अलविदा करते हुए राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई थी। जिसके चलते उनका कद लगातार बढ़ता गया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर नरसिम्हा राव सरकार तक उन्होंने सभी का विश्वास हासिल किया और सभी के खाशमखास लोगों में शुमार रहे। इतना ही नहीं गांधी परिवार भी उन्हें बहुत ज्यादा मानता था, तभी तो कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने साल 2000 में उनके घर जाकर उनकी पत्नी को एक्सीडेंट की जानकारी दी थी और उन्हें अपने साथ लेकर जयपुर गई थीं।

राजनीतिक जीवन

राजेश पायलट साल 1980 में पहली बार भरतपुर से सांसद बने थे। उस वक्त उन्हें पायलट के नाम से भरतपुर के लोग जानते थे। ऐसे में उन्होंने अपने नाम के आगे पायलट लगा लिया था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इसका किस्सा भी सुनाया था। उन्होंने बताया था कि जब मैं पहली बार नामांकन दाखिल करने पहुंचा तो अपना नाम राजेश प्रसाद लिख रहा था लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने पायलट लगाने का सुझाव दिया था। उस वक्त वहां पर लोग मुझे पायलट-पायलट पुकारते थे।

राजेश पायलट ने साल 1989 का एकमात्र चुनाव हारा था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। राजेश पायलट ने 1984, 1991, 1996, 1998 और 1999 में दौसा से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। 

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जब संजय गांधी की आई थी खबर

संजय गांधी के साथ उनके संबंध काफी बेहतर थे क्योंकि दोनों को ही प्लेन उड़ाने का काफी शौख था। राजेश पायलट वायुसेना का लड़ाकू विमान उड़ाया करते थे और फिर नौकरी से इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक जीवन को बड़ी ही सादगी के साथ बिताया और संजय गांधी शौखिया पायलट थे। उन्होंने राजेश पायलट को 22 जून, 1980 को अगली सुबह उड़ान के लिए सफदरजंग एयरपोर्ट पहुंचने के लिए कहा था। इस पर राजेश पायलट ने जवाब दिया था कि मेरठ से मिलने के लिए कुछ लोग सुबह-सुबह मेरे पास आने वाले हैं। इसके बाद भी संजय गांधी ने उन्हें आने के लिए कहा।

राजेश पायलट ने 23 जून की सुबह अपने आवास पर जल्दी-जल्दी मेरठ के लोगों से मुलाकात की और फिर अपने लोगों से कार को रेडी रखने के लिए कहा लेकिन ड्राइवर मौजूद नहीं थी। इसके बाद उन्होंने काफी वक्त बाद अपना स्कूटर निकालने का मन बनाया और वह स्टार्ट नहीं हुआ। अंतत: उन्होंने अपने आवास के बाहर से टैक्सी लेने का विचार किया और वो भी उन्हें नहीं मिली। इसके बाद उनके आवास पर एक फोन आया जिसमें संजय गांधी की प्लेन क्रैश में निधन की खबर आई।

संजय गांधी के निधन के करीब 2 दशक बाद राजेश पायलट का निधन हो गया। 11 जून, 2000 को कार दुर्घटना में निधन हो गया था। आपको बता दें कि राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट भी दौसा से सांसद रह चुकी हैं। पायलट दंपत्ति के एक बेटे और एक बेटी हैं। बेटे सचिन पायलट राजस्थान के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि बेटी सारिका पायलट बिजनेसमैन हैं और उन्होंने शुरुआती कॅरियर में अपने पति के साथ मिलकर 'सैनिक' नामक टीवी शो बनाया था।

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