परिवर्तन की राह पर बिहार भाजपा, पुराने से ज्यादा नए चेहरों को दिया जा रहा मौका

By अंकित सिंह | Feb 10, 2021

बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थी कि आखिर भाजपा और जदयू से मंत्रिमंडल विस्तार में किन को मौका मिलता है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा ने पुराने और पहली पंक्ति के नेताओं को दरकिनार कर नई पीढ़ी को आगे किया। पार्टी की ओर से कुछ ऐसा ही काम मध्यप्रदेश में भी किया गया था जब राज्य के कई दिग्गज नेताओं को शिवराज कैबिनेट से बाहर रखा गया। बिहार में भी कुछ ऐसा ही देखा गया है। पुराने चेहरे जैसे कि सुशील कुमार मोदी, डॉक्टर प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव, विनोद नारायण झा, रामनारायण मंडल और राणा रणधीर जैसे नेताओं को बाहर खा गया। सुशील मोदी लगातार 2005 से नीतीश मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री की भूमिका में रहे हैं। वही प्रेम कुमार भी 2005 से ही नीतीश मंत्रिमंडल में रहे हैं। वह सातवीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। पटना से छठी बार चुनाव जीतने वाले नंदकिशोर यादव को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। विनोद नारायण झा इस बार विधायक तो जरूर बने लेकिन मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाए। बिहार में भाजपा ने पुराने चेहरों को दरकिनार कर तारकिशोर प्रसाद और रेनू देवी को सीधे उपमुख्यमंत्री तक की कुर्सी सौंप दी गई। पहले की कैबिनेट और अबकी कैबिनेट में देखा जाए तो भाजपा की ओर से ज्यादातर युवा चेहरों को मौका दिया गया है। नितिन नवीन, शाहनवाज हुसैन, आलोक रंजन झा, सम्राट चौधरी, नीरज सिंह बबलू जैसे तमाम नेता अभी युवा है। माना जा रहा है कि भाजपा बिहार में नई पीढ़ी खड़ा करना चाहती है। यही कारण है कि पुराने नेताओं को अब ज्यादा मंत्रिमंडल विस्तार से दूर ही रखा गया।

 

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आपको बता दें कि नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार मंगलवार को किया गया। विस्तार में भाजपा कोटे से 9 जबकि जदयू कोटे से 8 मंत्री शामिल हुए। कुल मिलाकर कहें तो भाजपा अब नीतीश मंत्रिमंडल में बड़े भाई की भूमिका में आ गई है। नीतीश कैबिनेट में भाजपा कोटे के कुल 16 मंत्री हो गए हैं जबकि जदयू कोटे से मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्री हैं। इसके अलावा वीआईपी और हम पार्टी से 1-1 मंत्री हैं। कुल मिलाकर कहें तो बिहार भाजपा परिवर्तन की राह पर चल रही है। ऐसा ही कुछ हमने मध्यप्रदेश में देखा था जब शिवराज सिंह सरकार बनी तो बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इन बड़े नेताओं में गौरीशंकर बिसेन, पारस जैन, राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, जमाल सिंह पटेल जैसे नाम है। 

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