By नीरज कुमार दुबे | Aug 24, 2024
भारत जब विकसित देश बनने के संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है तो उसकी राह में बाधाएं पैदा करने के लिए तमाम तरह की साजिशें की जा रही हैं। इनमें से एक साजिश है देश के युवाओं को नशे और अश्लीलता के दुष्चक्र में फंसाने की और यह साजिश काफी हद तक सफल होती भी दिख रही है। कॉलेजों के आसपास आसानी से मादक पदार्थ मिल जाते हैं, रेव पार्टियों का चलन देश में बढ़ चुका है, मोबाइल पर अश्लील कंटेंट आसानी से उपलब्ध है। इस सबसे युवाओं के दिलो-दिमाग पर बड़ा असर पड़ रहा है और वह अपनी असल जिम्मेदारियों से विमुख होकर भ्रमित हो रहे हैं। विकसित भारत के लिए आज जो आधार तैयार किया जा रहा है उस पर इमारत युवाओं को ही आगे चलकर खड़ी करनी है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह युवाओं के जीवन और देश के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
वैसे, ऐसा नहीं है कि सिर्फ मोबाइल पर ही अश्लील कंटेंट परोसा जा रहा है, आप तमाम प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध वेब सीरीजों को देख लीजिये। अधिकतर में द्विअर्थी संवाद और अश्लील दृश्य भरे पड़े हैं। यही नहीं, हिंदी सिनेमा की भी कुछेक ही फिल्में ऐसी आती हैं जिन्हें परिवार के साथ देखा जा सकता है। हर जगह पसरी इस अश्लीलता का बाल मन पर बड़ा असर पड़ रहा है। इसके चलते बाल्यकाल में ही छात्र गालियां सीख जा रहे हैं साथ ही अश्लील कंटेंट उन्हें गलत कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है जिसके चलते किशोरवय उम्र में ही शारीरिक संबंध बनाने या दुष्कर्म करने की खबरें आम हो रही हैं। खास बात यह है कि इस सब पर माता-पिता भी ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि वह खुद मोबाइल में व्यस्त हैं।
बहरहाल, इन सब स्थितियों से निकलने के लिए किसी से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। समय आ गया है जब हम आत्मचिंतन करें और देखें कि हमारा परिवार, हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है? समय आ गया है कि हम चिंतन करें कि देश ने 2047 तक विकसित भारत बनने का जो लक्ष्य रखा है उसमें हमारा क्या योगदान हो सकता है? निश्चित ही आत्ममंथन से निकलने वाला अमृत देश के लिए और हमारे अपने लिये भी हितकारी होगा।
-नीरज कुमार दुबे