Bashar al-Assad और Putin को तगड़ा झटका, HTS विद्रोहियों को आतंकी सूची से हटा सकता है संयुक्त राष्ट्र, लेकिन...

By अभिनय आकाश | Dec 11, 2024

मध्य पूर्व का देश सीरिया फिलहाल पूरी दुनिया का टॉकिंग प्वाइंट बना हुआ है। एक हफ्ते पहले तक किसी ने नहीं सोचा था कि यहां के राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन का अंत इतना नजदीक होगा। हालात ऐसे बन या बना दिए जाएंगे कि उन्हें देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ेगा। दमिश्क की सड़कों पर विद्रोही गुटों के साथ साथ आम लोग जश्न मनाते नजर आएंगे। लेकिन सीरिया की फिलहाल की तस्वीर इसी की तस्दीक कर रही है। सीरिया के शहरों पर तेजी से कब्जा करते संगठन हयात तहरीर अल शाम के मुखिया को वैसे तो अमेरिका ने आंतकी घोषित कर रखा है। एचटीएस चीफ अबू मोहम्मद अल जोलानी इजरायल को भी अपना दुश्मन मानता है। लेकिन अब इस संगठन को लेकर एक ऐसी खबर आई है जो सभी को हैरान भी कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रपति बशर अल-असद शासन को उखाड़ फेंकने वाले सीरियाई विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) को नामित आतंकवादी समूहों की अपनी सूची से हटाने पर विचार कर सकता है, यदि यह वास्तव में समावेशी संक्रमणकालीन सरकार बनाने की महत्वपूर्ण परीक्षा पास कर लेता है। 

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यूएन एचटीएस को आतंकी सूची से हटा सकता है, लेकिन...

सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गीर पेडरसन ने प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों की सूची से एचटीएस को हटाने का सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह देश पर उस तरह से शासन नहीं कर सकता जिस तरह उसने इदलिब पर शासन किया था। एचटीएस उत्तरी प्रांत इदलिब में स्थित था और इसने वहां से सैन्य हमले का नेतृत्व किया था जिसके कारण पिछले सप्ताह असद शासन का अचानक पतन हो गया था।

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इजरायल को बंद करनी होगी बमबारी

जिनेवा में एक ब्रीफिंग के दौरान पेडर्सन ने यह भी कहा कि सीरिया एक चौराहे पर बना हुआ है और स्थिति बेहद अस्थिर है। उन्होंने इस घटनाक्रम को बहुत परेशान करने वाला बताते हुए इज़राइल से सीरिया के अंदर अपने ज़मीनी और हवाई हमलों को तुरंत रोकने का आग्रह किया। पेडर्सन ने कहा कि बमबारी को रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गोलान हाइट्स के आसपास इजरायल की कार्रवाई 1974 में संयुक्त राष्ट्र के साथ हस्ताक्षरित विघटन समझौते का उल्लंघन दर्शाती है। पेडर्सन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संक्षेप में कहा कि दमिश्क में सशस्त्र समूहों के शुरुआती संकेत उत्साहजनक थे कि वे सहयोग कर रहे थे और मौजूदा राज्य संस्थानों की रक्षा के लिए उत्सुक थे। 

 

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