भोजपुर का विशालकाय मंदिर पत्थर से कैसे बना होगा। बड़े बड़े पत्थरो को काटकर कैसे जमाया गया होगा, यह सवाल यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु के मन में आता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यहां एक सेंटर तैयार किया गया है। जहां पहुंचकर लोग न केवल इसकी जानकारी ले सकते है बल्कि खुद भी छोटे छोटे पत्थरो को लेकर इनकी कटाई करके इन्हें जमा कर देख सकते है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों का कहना है कि लोगों की जिज्ञासा को शांत करने और मंदिर का महत्व बताने ये सेंटर शुरू किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से इस बात का स्पष्ट पता चलता है। इस मंदिर के अध्ययन से हमें भारतीय मंदिर की वास्तुकला के बारे में बहुत-सी बातों की जानकारी मिलती है।
इसे भी पढ़ें: आखिर क्यों धर्म की आड़ में पोषित हो रही है लैंगिक भिन्नता की भावना ?
भारत में इस्लाम के आगमन से भी पहले, इस हिंदू मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बना अधुरा गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्वान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। चूँकि यह मंदिर ऊँचा है, इतनी प्राचीन मंदिर के निर्माण के दौरान भारी पत्थरों को ऊपर ले जाने के लिए ढ़लाने बनाई गई थी। इसका प्रमाण भी यहाँ मिलता है। मंदिर के निकट स्थित बाँध को राजा भोज ने बनवाया था। बाँध के पास प्राचीन समय में प्रचूर संख्या में शिवलिंग बनाया जाता था। यह स्थान शिवलिंग बनाने की प्रक्रिया की जानकारी देता है। इस मंदिर की ड्राइंग समीप ही स्थित पहाड़़ी पर उभरी हुई है जो आज भी दिखाई देती है। इससे ऐेसा प्रतीत होता है कि पूर्व में भी आज की तरह नक्शे बनाकर निर्माण कार्य किए जाते रहे होंगे।