भागवत-मुलायम की तस्वीर से सियासी गलियारे में बढ़ी हलचल, निकाले जा रहे कई मायने

By अंकित सिंह | Dec 21, 2021

राजनीति में तस्वीरों के मायने ही कुछ अलग होते हैं। कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं जो चुनाव से पहले आ जाएं तो चुनावी नफा-नुकसान के मायने भी बदल जाते हैं। तस्वीरों को एक लाइन में परिभाषित करने की बात करें तो यह जरूर कहा जा सकता है कि यह हकीकत को बयां करते हैं। यह खुद में एक कहानी होती है या किसी कहानी को छिपाए रखती है। एक ऐसी ही तस्वीर सोशल मीडिया पर इस वक्त तैर रहा है जो उत्तर प्रदेश चुनाव में खुब उछला जा सकता है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत एक ही सोफे पर साथ-साथ बैठे नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर के सामने आते ही लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। तस्वीर के सामने आने के साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है और लोग राम मंदिर आंदोलन के दिनों को भी याद करने लगे हैं। कुछ लोग तो यह कह रहे हैं कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने वाले मुलायम सिंह यादव आज आरएसएस प्रमुख के साथ बैठे हुए हैं। कभी यही आरएसएस और बीजेपी वाले ने मुल्ला मुलायम के खिताब से उन्हें नवाजा था और आज सब साथ दिख रहे हैं। वक्त कब कौन सा करवट ले ले, किसी को नहीं पता। हालांकि यह वही मुलायम सिंह हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले संसद में कह चुके थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार जीत कर आए। मुलायम सिंह यादव की छवि कट्टर आएसएस विरोधी रही है। लेकिन अचानक आरएसएस प्रमुख के साथ किसी कार्यक्रम में बैठना, ऐसा ना हो कि चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को भारी पड़ जाए। 

 

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मौका उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पोती की शादी का था जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की मुलाकात हुई। इस मुलाकात ने सियासी तपिश बढ़ गई है। इस पर अब कांग्रेस हमलावर हो गई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने इस तस्वीर को साझा करते हुए ट्वीट किया। अपने ट्वीट में कांग्रेस ने लिखा नई सपा में स का मतलब संघवाद है। इस तस्वीर को साझा किया गया है उसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत बीकानेर से भाजपा सांसद और संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से हाथ मिलाते भी दिख रहे हैं जबकि मुलायम सिंह सपा के लाल टोपी पहने हुए उनके बगल में बैठे हैं। 


यह फोटो ऐसे समय में वायरल हो रही है जब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव लगातार भाजपा के साथ-साथ आरएसएस पर भी हमलावर है। कांग्रेस ने सपा को संघ से जोड़कर मुस्लिम वोटों के लिए एक नई राजनीतिक दांव चल दी है। देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस तस्वीर के आने वाले दिनों में कितने मायने निकाले जाते हैं। लेकिन कहीं ना कहीं इससे अखिलेश यादव की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। 

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