शिशु ही नहीं, माँ के लिए भी जरुरी है ब्रेस्टफीडिंग, जानें इसके फायदे

By प्रिया मिश्रा | Jul 23, 2021

नवजात शिशु के लिए ब्रेस्ट मिल्क यानी मां का दूध अमृत के समान माना जाता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक पहले छह माह तक शिशु को मां का दूध ही देना चाहिए। इसके बाद 1 साल पूरा होने तक बच्चे को सब्जियों, फलों, अनाज आदि के साथ स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन भी दो साल की उम्र तक के बच्चों को स्तनपान करवाने की सलाह देता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्तनपान से बच्चे और मां दोनों को लाभ होता है। स्तनपान करवाने से बच्चे की पोषण संबंधी जरूरते पूरी होती हैं और उसका विकास बेहतर ढंग से हो पाता है। वहीं, स्तनपान करवाने से नई माँ में डिप्रेशन का खतरा कम होता है। आज के इस लेख में हम आपको ब्रेस्टफीडिंग से शिशु और मां को होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं-

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हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक नवजात शिशु के लिए 6 माह तक ब्रेस्ट मिल्क बहुत जरूरी होता है। डॉक्टर्स के मुताबिक डिलीवरी के बाद मां का पहला गाढ़ा दूध, जिसे कोलस्ट्रम कहते हैं, बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नवजात शिशु में पोषण की सभी जरूरतों करने के लिए ब्रेस्ट मिल्क बहुत फायदेमंद होता है। ब्रेस्ट मिल्क में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है और इसमें मौजूद पोषक तत्व बच्चे के पाचन तंत्र को ठीक तरह से विकसित करने में मदद करते हैं।


बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी ब्रेस्ट मिल्क बहुत फायदेमंद होता है। इससे नवजात शिशु के शरीर में एंटीबॉडीज बनती हैं जो उसे कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाती हैं।


हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्रेस्ट मिल्क पिलाने से शिशु में कई तरह की बीमारियों का खतरा कम होता है। जन्म के बाद, पहले 6 महीने तक शिशु को स्तनपान कराने से अस्थमा, एलर्जी, डायबिटीज, ल्यूकेमिया आदि जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।

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शिशु के हेल्दी वेट के लिए भी ब्रेस्टमिल्क बहुत फायदेमंद माना जाता है। स्तनपान से शिशु का वेट बढ़ता है और चाइल्डहुड डायबिटीज यानी बच्चे में मधुमेह का खतरा भी कम होता है। एक शोध में पाया गया कि 4 माह से अधिक तक स्तनपान कराने से शिशु में मोटापे और मधुमेह का खतरा कम रहता है।


स्तनपान से शिशु के दिमाग पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चे का मानसिक विकास बेहतर ढंग से हो पाता है। एक शोध में पाया गया कि स्तनपान करने वाले शिशु दिमागी रूप से ज्यादा स्वस्थ होते हैं।


स्तनपान करवाने से नई माँ को होते हैं यह फायदे 

स्तनपान करवाने से डिलीवरी के बाद वजन घटाने में मदद मिलती है। जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं वे ज्यादा कैलोरीज़ बर्न कर पाती हैं। एक शोध में पाया गया कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में स्तनपान ना करवाने वाली महिलाओं से जल्दी फैट बर्न होता है।

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स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का खतरा कम होता है। एक शोध में पाया गया कि जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं उनमें पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम होता है। हालांकि जिन महिलाओं को डिलीवरी के तुरंत बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है उन्हें स्तनपान करवाने में समस्याएं हो सकती हैं।


ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा कम होता है। एक शोध में पाया गया कि जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर का जोखिम कम होता है। इसके साथ ही स्तनपान करवाने से महिलाओं में अर्थराइटिस, डायबिटीज और दिल की बीमारियों से बचाव होता है।


- प्रिया मिश्रा

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