By अनन्या मिश्रा | Dec 27, 2023
आज ही के दिन यानी की 27 दिसंबर को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी। हांलाकि उनकी हत्या के पीछे की वजह अब तक सामने नहीं आ सकी है। बेनजीर भुट्टो एक आजाद ख्याल वाली महिला थीं। लेकिन उन्होंने पाकिस्तान की सियासत में सिर ढककर लोगों का सामना किया। बेनजीर भुट्टो एक पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ और राजनेता थीं। पाकिस्तान में वह जितनी ज्यादा फेमस थीं, उतनी ही ज्यादा विवादित भी थीं। वह देश की सबसे बड़ी पॉलिटिकल भुट्टो फैमिली से आती थीं। सियासत उनको विरासत में मिली थी। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म औऱ शिक्षा
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के घर 21 जून 1953 को बेनजीर भुट्टो का जन्म हुआ था। बेनजीर को सियासत का गुण विरासत में मिला था। पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को कायद-ए-आजम जिन्ना की तरह कायद-ए-आवाम कहा जाता था। बेनजीर की शुरूआती शिक्षा पाकिस्तान में पूरी हुई। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका की हार्वर्ड और फिर ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया।
ऐसे संभाली सियासत
साल 1977 में पाकिस्तानी आर्मी के चीफ जिया-उल-हक ने तख्तापलट करते हुए जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके साथ ही पूर्व पीएम को जेल भेज दिया गया। जिसके बाद साल 1978 में हत्या के आरोप में जुल्फिकार अली भुट्टो फांसी की सजा दी गई। पिता की मौते के बाद बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान की सियासत में कदम रखा। बेनजीर पाकिस्तान की विदेश सेवा में काम करना चाहती थीं। इसके पीछे की वजह थी कि विदेश में पढ़ाई की वजह से उर्दू में उनका हाथ तंग था।
विवादों से नाता
आजाद ख्याल बेनजीर का जीवन काफी विवादों से भरा था। क्रिस्टोफर सैंडफोर्ड ने अपनी किताब में दावा किया था कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से बेनजीर भुट्टो की काफी नजदीकियां थीं। इसके अलावा रोशन मिर्जा की किताब में दावा किया गया कि बेनजीर भुट्टो के कई मर्दों से फिजिकल रिलेशन थे। इसके अलावा यह भी दावा किया गया कि वह रंगीन पार्टियां करने की शौकीन थीं।
पाकिस्तान की पहली महिला पीएम
साल 1988 में बेनजीर भुट्टो ने पहली बार चुनाव में जीत हासिल की थी। जिसके बाद वह पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। हांलाकि दो साल के अंदर ही राष्ट्रपति द्वारा बेनजीर सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। जिसके बाद साल 1993 में उन्होंने एक बार फिर चुनाव में जीत हासिल की और दोबारा पाकिस्तान की पीएम बनीं। इस बार पाकिस्तान में उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें पीएम पद से हटा दिया गया। भ्रष्टाचार के आरोप में बेनजीर को जेल भी जाना पड़ा। वहीं जेल से बाहर आने के बाद उन्हें पाकिस्तान भी छोड़ना पड़ा।
दोबारा वापसी पर मिली मौत
साल 2007 में पाक में कमजोर पड़े लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए बेनजीर भुट्टो ने एक बार फिर अपने देश का रुख किया। पाक वापस लोटने के साथ ही वह चुनाव की तैयारियों में जुट गईं। इस दौरान उन्होंने अपनी रैलियों में न सिर्फ पाकिस्तानी सेना बल्कि आतंकी संगठन पर भी जमकर निशाना साधा। दावा किया जाता है कि ISI के प्रमुख मेजर जनरल नदीम ताज ने बेनजीर की मौत से एक दिन पहले उनसे मुलाकात कर चेतावनी देते हुए हत्या किए जाने की संभावना जताई थी।
मौत
हत्या की चेतावनी को नजरअंदाज कर बेनजीर भुट्टो 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली से वापस लौट रही थीं। इस दौरान वह कार की सनरूफ से निकलकर लोगों का अभिवादन कर रही थीं। तभी 15 साल के बिलाल ने एकदम पास से बेनजीर भुट्टो के सिर पर गोली मार दी और फिर खुद को भी बम से उड़ा दिया। जिसके बाद उनको फौरन इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया। हांलाकि अस्पताल पहुंचने से पहले ही बेनजीर भुट्टो ने दम तोड़ दिया। तत्कालीन पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ पर बेनजीर भुट्टो की हत्या का आरोप लगा था। हांलाकि इन आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी।