By नीरज कुमार दुबे | Nov 19, 2024
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए पूरे एनसीआर क्षेत्र में स्कूलों और कॉलेजों को बंद करके ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के निर्देश दिये गये हैं। देखा जाये तो हर साल इस समय यही स्थिति बनने से छात्रों को बड़ा नुकसान हो रहा है लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। दिल्ली की सरकार को लगता है कि जब अदालत से फटकार लग जाये तो उसके अगले दिन स्कूल, कॉलेज बंद कर दो और फिर धुआं छंटते ही फिर से सब कुछ खोल दो। यह परिपाटी दर्शाती है कि आम आदमी पार्टी के पास किसी समस्या का समाधान करने के लिए कोई दीर्घकालिक नीति नहीं है। आम आदमी पार्टी सिर्फ आज का काम निकल जाये वाली नीति पर चलती है जिससे दिल्ली की हवा और पानी दोनों खराब हो चुके हैं। वैसे तो आम आदमी पार्टी दावा करती है कि वह दिल्ली में शिक्षा क्रांति ले आई है लेकिन देखा जाये तो क्रांति प्रदूषण के क्षेत्र में हुई है जिससे छात्रों को स्कूलों की बजाय घर पर बैठकर ऑनलाइन कक्षाएं करनी पड़ती हैं। इस तरह से आम आदमी पार्टी की सरकार छात्रों को स्कूल लाने की बजाय उन्हें स्कूलों से दूर रखने के लिए जिम्मेदार मानी जा सकती है।
अब जब एक बार फिर स्कूल, कॉलेज बंद हो चुके हैं तो अभिभावकों, स्कूल प्राधिकारियों और विद्यार्थियों के बीच चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। बारहवीं कक्षा के कुछ छात्रों का कहना है कि पिछले वर्ष भी इसी कारण से स्कूल बंद होने के कारण कक्षा 11 में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से वंचित रहना पड़ा था। छात्रों का कहना है कि बार-बार होने वाली समस्या के कारण अवसरों का छिन जाना निराशाजनक है। इसे हल करने के बजाय, हमने इसके साथ जीना सीख लिया है। छात्रों का कहना है कि प्रदूषण के चरम स्तर पर पहुंचने पर ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने से एक समस्या दूसरी समस्या में बदल जाती है, क्योंकि आठ घंटे तक स्क्रीन के सामने बैठना भी उतना ही हानिकारक है।
इस बारे में दिल्ली अभिभावक संघ (डीपीए) की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि जब विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होने की सूचना अंतिम समय में मिलती है तो अभिभावकों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे उन्हें यह समझने में परेशानी होती है कि काम पर जाते समय घर पर छोटे बच्चों को कैसे संभालें। अपराजिता गौतम का कहना है कि कुछ अभिभावक ऐसे हैं जिन्हें ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में सूचना नहीं मिली और उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेज दिया, लेकिन वे वापस लौट आए। उन्होंने कहा कि सरकार को अभिभावकों को पहले से सूचित करना चाहिए और बार-बार ऑनलाइन कक्षाओं में बदलाव से बचना चाहिए। अपराजिता गौतम का कहना है कि कई परिवारों के पास फोन या लैपटॉप जैसे अतिरिक्त उपकरण नहीं हैं, जिससे कुछ छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने में असमर्थ हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव बड़े छात्रों पर पड़ता है, खासकर बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों पर। उन्होंने कहा कि हमें इस मुद्दे को स्थायी रूप से हल करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस बारे में मयूर विहार स्थित बाल भवन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य विविध गुप्ता ने कहा कि शहर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए छात्रों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की ओर रुख करना आवश्यक प्रतीत होता है, लेकिन बार-बार सामने आ रही समस्या के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। विविध गुप्ता ने कहा, ‘‘हर साल दिवाली के बाद प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण विद्यालयों को बंद करना पड़ता है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कक्षा छह से ऊपर के छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे उन गतिविधियों और पाठों में शामिल हों, जिनका अनुभव कक्षा में ही सबसे अच्छा हो।''