आंगन में मेरे खेल रही है,
सुंदर सलोनी प्यारी गिलहरी।
टुकुर-टुकर कर देख रही है,
हंसती खेलती मुझे गिलहरी।
घनेरी अपनी पूछ घुमाती,
पास जाते ही भाग जाती गिलहरी।
अपने आगे के दो पैरों पर,
रख भोजन को खाती गिलहरी।
पेड़ों पर अनार, अमरूद लगे हैं,
कुट-कुट चाव से खाती गिलहरी।
चिर्प चिर्प की अपनी आवाज से,
बगिया गुंजन कर जाती गिलहरी।
खतरा पास में आता देखकर,
झाड़ियों में छुप जाती गिलहरी।
वृक्षों के कोटरों में घर बनाती,
सुतली धागे से सजाती गिलहरी।
लंका विजय में साथ निभाया,
भगवान राम की है प्यारी गिलहरी।
देह पर लेकर तीन सुंदर धारियां,
कितना कुछ कह जाती गिलहरी।
आंगन में मेरे खेल रही है,
सुंदर सलोनी प्यारी गिलहरी।
- अमृता गोस्वामी