बैंकिंग विधेयक पर विपक्ष को आशंकाएं, निर्मला सीतारमण ने बेहतर प्रशासन के लिए जरूरी बताया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 16, 2020

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को लेकर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मंगलवार को कहा कि इस विधेयक के दायरे में केवल वैसी ही सहकारी सोसाइटी आयेंगी जो बैंकिंग क्षेत्र में काम रही हैं। वित्त मंत्री ने लोकसभा में बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए यह बात कही। इसमें जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये बेहतर प्रबंधन और समुचित नियमन के जरिये सहकारी बैंकों को बैकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप बनाने का प्रावधान किया गया है। यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। सीतारमण ने कहा कि बैंक का नाम रखकर जो सहकारी सोसाइटी काम कर रही हैं, उन पर भी वही नियम लागू होने चाहिए जो वाणिज्यिक बैंकों पर लगते हैं। इससे बेहतर प्रशासन सुनिश्चित हो सकेगा। 

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उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दायरे में केवल वैसी सहकारी सोसाइटी आयेंगी जो बैंकिंग क्षेत्र में काम रही हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के सहकारिता कानूनों को नहीं छूआ गया है और प्रस्तावित कानून इन बैंकों में वैसा ही नियमन लाना चाहता है, जैसे दूसरे बैंकों पर लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि यह उन सहकारी बैंकों पर लागू होगा जो बैंक, बैंकर और बैंकिंग से संबंधित होंगे। गौरतलब है कि यह विधेयक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अवश्यकता पड़ने पर सहकारी बैंकों के प्रबंधन में बदलाव करने का अधिकार देता है। इससे सहकारी बैंकों में अपना पैसा जमा करने वाले आम लोगों के हितों की रक्षा होगी।

विधेयक में कहा गया है कि आरबीआई को सहकारी बैंकों के नियमित कामकाज पर रोक लगाये बिना उसके प्रबंधन में बदलाव के लिये योजना तैयार करने का अधिकार मिल जायेगा। कृषि सहकारी समितियां या मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियां इस विधेयक के दायरे में नहीं आयेंगी। विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि अध्यादेश जारी करने के लिए कुछ आधार होते हैं, लेकिन इस अध्यादेश को जारी करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन यहां जिला सहकारी बैंकों से कृषि क्रेडिट सोसायटी को अलग करने का प्रयास किया जा रहा है जिसका कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। 

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तिवारी ने आग्रह किया कि कि सरकार इस विधेयक को वापस ले क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश में सहकरी बैंकिंग व्यवस्था पर दूरगामी नकारात्मक असर होगा। वहीं, भाजपा के शिवकुमार उदासी ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सहकारी बैंकों के बेहतर प्रबंधन और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह विधेयक जरूरी है। उन्होंने कहा कि अतीत में सहकारी बैंकों से जुड़े कई घोटाले हुए हैं और कई अनियमितताएं हुईं। यह संशोधन इन पर भी प्रभावी ढंग से अंकुश लगा सकेगा। उदासी ने कहा कि विधेयक के कानून बनने के बाद सहकारी बैंकिंग व्यवस्था पर रिजर्व बैंक की प्रभावी निगरानी रह सकेगी।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने सरकार से सवाल पूछा कि इस विधेयक को इतनी जल्दबाजी में क्यों लाया गया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों का सफल नियामक साबित नहीं हुआ है और उस पर काम का अत्यधिक बोझ है। रॉय ने कहा कि यस बैंक के मामले में भी ऐसा देखने में आया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से राज्यों के अधिकारों का भी हनन होगा। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के श्रीकृष्णा देवरयालू ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि हर समस्या के समाधान के लिए आरबीआई पर केंद्रित नहीं रहना चाहिए।

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