By अनन्या मिश्रा | Jan 23, 2024
आज यानी की 23 जनवरी को शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की बर्थ एनिवर्सरी है। वह महाराष्ट्र के प्रसिद्ध राजनेता थे। लोग उनको बालासाहेब ठाकरे के नाम से जानते थे। एक समय पर महाराष्ट्र यानी की मुंबई को अपने इशारों पर चलाने वाले बाल ठाकरे को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। बता दें कि बाल ठाकरे की छवि न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश के बड़े कट्टर हिंदू नेता के तौर पर जानी जाती थी। वह सिगार, मटन और व्हाइट वाइन के दीवाने थे। इसके अलावा बालासाहेब ठाकरे चांदी के सिंहासन पर भी बैठने के शौकीन थे। वह राजनीति के केंद्र में हिंदुत्व और मराठी मानुष थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर बाल ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में..
जन्म
बता दें कि पूणे में 23 जनवरी 1926 को बाल ठाकरे का जन्म हुआ था। उनके पिताजी का नाम केशव सीताराम ठाकरे और माता का नाम रमाबाई था। बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरूआत बतौर कार्टूनिस्ट की थी। वह पने संगठन शिवसेना का मुखपत्र 'सामना' को मराठी में पब्लिश करते थे। यह मुखपत्र आज भी पब्लिश होता है। बाल ठाकरे और मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण साल 1947 में फ्री प्रेस जर्नल में एक साथ काम किया करते थे।
राजनीतिक सफर
साल 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना नामक एक राजनीतिक पार्टी बनाई। इस पार्टी की विचारधारा को आम जनता तक पहुंचाने के लिए उन्होंने 'सामना' नामक अखबार शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने 'दोपहर का सामना' नामक अखबार भी निकाला था। वहीं साल 1995 में शिवसेना और बीजेपी ने महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार बनाई। आपको जानकर हैरानी होगी कि 46 सालों तक सार्वजनिक जीवन में रहने के बाद भी बाला साहेब ने न तो कोई चुनाव लड़ा और न कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया। इसके बाद भी वह करीब 4 दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति को अपने इशारों पर नचाते रहे। बाला साहेब को मुंबई के लोग 'टाइगर ऑफ़ मराठा' के नाम से भी जानते थे।
बाला साहेब ठाकरे अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना पसंद करते थे। उनको चांदी के सिंहासन पर बैठने का शौक था। बताया जाता है कि बाला साहेब ठाकरे के एक इशारे पर कभी न रुकने वाली मुंबई भी ठहर जाया करती थी। बाला साहेब की छवि कट्टर हिंदू नेता की थी। वह अपने विवादित व सख्त बयानों के लिए भी जाने जाते थे। एक बार उन्होंने मुसलमानों को मुंबई से बाहर चले जाने के लिए कहा था। खासकर वह बांग्लादेश से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों का विरोध करते थे। बाला साहेब एक ऐसी छवि वाले नेता थे, जिनके न सिर्फ पक्ष-विपक्ष बल्कि सभी मिलने के लिए आतुर रहते थे।
फिल्म इंडस्ट्री से था करीबी रिश्ता
बाल ठाकरे का न सिर्फ राजनीति बल्कि फिल्म इंडस्ट्री से भी करीबी रिश्ता रहा। उनके दिलीप कुमार से लेकर संजय दत्त तक की जान-पहचान थी। बताया जाता है कि जब अभिनेता संजय दत्त टाडा के दौरान मुश्किलों में घिर गए थे, तब बाल ठाकरे ने उनकी काफी मदद की थी।
मुंबई को बनाना चाहते थे देश की राजधानी
आपको बता दें कि मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बनाने में बालासाहेब ठाकरे के पिता केशव ठाकरे का काफी योगदान रहा है। केशव ठाकरे ने साल 1950 में एक अभियान चलाया था। जिसमें वह चाहते थे कि मुंबई को देश की राजधानी बना दिया जाए। हांलाकि ऐसा हो न सका। भले ही मुंबई देश की राजधानी नहीं बनी लेकिन वह देश की आर्थिक राजधानी के तौर पर जरूर उभरी।
मृत्यु
बाला साहेब ठाकरे का 17 नवंबर 2012 को 86 साल की उम्र में निधन हो गया था। आप बाला साहेब ठाकरे की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वह पहले ऐसे नेता थे, जिनके निधन पर बिना किसी नोटिस के पूरी मुंबई अपनी मर्जी से थम गई थी। बाला साहेब के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ उनको 21 तोपों की सलामी दी गई थी।