By अनन्या मिश्रा | Nov 17, 2023
महाराष्ट्र के सियासी इतिहास शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का नाम अमिट है। भले ही अब बाल ठाकरे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके नाम का सिक्का आज भी महाराष्ट्र की सियासत में चलता है। आज ही के दिन यानी की 17 नंवबर 2023 को बाल ठाकरे की मृत्यु हो गई थी। बाल ठाकरे को महाराष्ट्र में प्यार से सभी लोग बालासाहेब ठाकरे कहते थे। उनकी शख्सियत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बाल ठाकरे की जुबान से निकला एक-एक शब्द शिवसैनिकों के लिए पत्थर की लकीर होता था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बाल ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
बता दें कि बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को केशव सीताराम के घर हुआ था। बाल ठाकरे अपने पिता के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत बतौर कार्टूनिस्ट की थी। बता दें कि बाल ठाकरे ने 'द फ्री प्रेस जर्नल' से करियर की शुरूआत की। हांलाकि बाद में बाल ठाकरे द्वारा बनाए गए कार्टून 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में भी छपे। लेकिन साल 1960 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और खुद की पॉलिटिकल मैगजीन, जिसका नाम 'मार्मिक' था, की शुरूआत की। वहीं साल 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई और आमजन तक अपनी विचारधारा को पहुंचाने के लिए साल 1989 में 'सामना' नामक अखबार लॉन्च किया।
कट्टर हिंदू वादी नेता
करीब 4 दशकों तक महाराष्ट्र की राजनीति को अपने इशारों पर नचाने वाले बाल ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर जानी जाती थी। जिसके कारण उनको हिंदू सम्राट भी कहा जाता था। बाल ठाकरे हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए वैलेंटाइन डे को खतरा मानते थे।
इन लोगों के खिलाफ थे बाल ठाकरे
बता दें कि महाराष्ट्र में मारवाड़ियों, गुजरातियों और उत्तर भारतीयों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ बाल ठाकरे ने आंदोलन भी चलाया। वह बाहर से मुंबई आकर बसने वाले लोगों के खिलाफ रहे। उनका मानना था कि महाराष्ट्र सिर्फ मराठियों का है। इसके अलावा यूपी-बिहार से आकर मुंबई में बसने वाले नेताओं व अभिनेताओं का भी बाल ठाकरे विरोध करते थे। लेकिन बाल ठाकरे की शख्सियत इतनी बड़ी थी कि समर्थक ही क्या बल्कि विरोधी भी उनसे मिलने के लिए आतुर रहते थे।
महाराष्ट्र के किंग मेकर
साल 1995 में जब शिवसेना-बीजेपी ने पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर गठबंधन की सरकार बनाई, तो उस दौरान बाल ठाकरे ने सरकार में ना रहते हुए भी सभी फैसलों को प्रभावित किया। कहा जाता था कि बाल ठाकरे महाराष्ट्र के किंग मेकर थे। वह अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते थे। इसी कारण नफरत और डर की वजह से बाल ठाकरे पर चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने और वोट डालने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साल 1999 में चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे को 6 सालों के लिए चुनाव से अलग कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी उनके एक इशारे पर मुंबई जैसा शहर ठहर जाता था।
सार्वजनिक जीवन में अपने तीखे भाषणों से पहचान बनाने वाले बाला साहेब ठाकरे हमेशा चांदी के सिंहासन पर बैठते थे और अपने शर्तों पर जीवन जीते थे। बाल ठाकरे बंग्लादेश से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों के सख्त खिलाफ थे। अपने पूरे जीवन में ठाकरे साहेब हिंदुओं के लिए लड़ाई लड़ते रहे। वह अगर किसी देश से सबसे ज्यादा नफरत करते थे, तो वह देश पाकिस्तान था। वह पाकिस्तान से आतंकवाद के लिए नफरत करते थे। वह सिगार, मटन और व्हाइट वाइन के दीवाने थे। ना सिर्फ राजनीति बल्कि बाल ठाकरे हमेशा बॉलीवुड के भी काफी करीब रहे। अमिताभ बच्चन से लेकर तमाम दिग्गज कलाकारों के साथ ठाकरे साहेब के काफी करीबी रिश्ते रहे। वह लता मंगेशकर के बहुत बड़े फैन थे।
मौत
बता दें कि महाराष्ट्र से लेकर राम जन्मभूमि समेत कई मुद्दों पर मुखर रहे बाल ठाकरे ने 86 साल की उम्र में 17 नवंबर 2012 को हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आप उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बाल ठाकरे के अंतिम यात्रा में करीब 2 लाख से भी अधिक लोग शामिल हुए थे।