Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary: बाल गंगाधर तिलक को कहा जाता है भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का 'जनक'

By अनन्या मिश्रा | Aug 01, 2024

आज ही के दिन यानी की 01 अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया था। वह भारत के प्रमुख नेता, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और लोकप्रिय नेता थे। बाल गंगाधर तिलक ने 'लोकमान्य' की उपाधि अर्जित की थी। सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने ही पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थीं। जिस कारण तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक कहा जाता है। 


वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक थे। वैसे तो उनका पूरा जीवन ही आदर्श था और वह सिर्फ लोकप्रिय नेता ही नहीं बल्कि संस्कृत, हिंदू धर्म, भारतीय इतिहास, गणित और खगोल विज्ञान जैसे विषयों के विद्धान भी थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 13 जुलाई 1856 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था और वह संस्कृत के विद्वान और प्रख्यात शिक्षक थे। तिलक की माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर था। साल 1871 में तिलक का विवाह तपिबाई नाम की कन्या से हुआ था। शादी के बाद तपिबाई को सत्यभामा हो गया था। तिलक बचपन से ही पढ़ाई में निपुण और थे।

इसे भी पढ़ें: Kamala Nehru Birth Anniversary: स्वतंत्रता आंदोलन के प्रचंड तूफान में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही थीं कमला नेहरू

बता दें कि 16 साल की उम्र में मां का निधन और फिर पिता के निधन के बाद उनके संघर्षपूर्ण करियर की शुरुआत हुई। साल 1877 में तिलक ने पुणे के डेक्कन कॉलेज से संस्कृत और गणित विषय की डिग्री हासिल की। फिर मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी पास किया। पहली पीढ़ी के भारतीय युवाओं में तिलक को आधुनिक शिक्षा हासिल करने वाला प्रथम व्यक्ति माना जा सकता है।


करियर

शिक्षा पूरी करने के बाद वह पुणे के एक स्कूल में गणित और अंग्रेजी के शिक्षक बन गए। लेकिन अन्य शिक्षकों से मतभेद के चलते उन्होंने साल 1880 में पढ़ाना छोड़ दिया। दरअसल, बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के आलोचक थे। उस दौरान स्कूलों में ब्रिटिश विद्यार्थियों की तुलना में भारतीय विद्यार्थियों के साथ दोगला व्यवहार होता था। जिसका तिलक विरोध करते थे। उन्होंने समाज में फैली छुआछूत के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।


आजादी के लिए प्रयास

बाल गंगाधर तिलक ने दक्खन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य देश में शिक्षा के स्तर में सुधार लाना था। इसके अलावा उन्होंने मराठी भाषा में मराठा दर्पण और केसरी नामक दो अखबार शुरू किए थे। जो उस दौर में काफी ज्यादा लोकप्रिय हुए थे। तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनते हुए अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया। तिलक ने ब्रिटिश सरकार से भारतीयों को पूर्ण स्वराज देने की मांग की थी। न्यूज पेपर में छपने वाले लेखों के कारण तिलक को कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी। तिलक को उनके प्रयासों के कारण उन्हें 'लोकमान्य' की उपाधि मिली थी।


मृत्यु

बता दें कि 01 अगस्त 1920 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं।

प्रमुख खबरें

Justin Trudeau Resigned: जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा, अगला PM चुने जाने तक कुर्सी पर बने रहेंगे

Rishi Dhawan Retirement: भारतीय ऑलराउंडर ऋषि धवन ने लिया संन्यास, IPL में फेस गार्ड पहनकर खेलकर हुए थे वायरल

थक चुके हैं नीतीश कुमार, रिटायर्ड अफसर चला रहे बिहार में सरकार, तेजस्वी का CM पर बड़ा वार

सिद्धारमैया की डिनर मीट का शिवकुमार ने किया बचाव, कहा- इसके पीछे कोई राजनीति नहीं है