By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 21, 2019
अयोध्या मामले की आज एक बार फिर से देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई हो रही है। हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा कि मूर्ति संपत्ति नहीं, स्वयं देवता हैं और मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है। इससे पहले पुरातात्विक साक्ष्य को ‘भरोसेमंद’ और ‘वैज्ञानिक’ बताते हुए ‘राम लला विराजमान’ के वकील ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि ये अयोध्या में विवादित स्थल पर 12 वीं सदी के मध्य में ‘विष्णु हरि’ मंदिर के अस्तित्व का उल्लेख करते हैं, जहां बाबरी मस्जिद का निर्माण या तो उसके ध्वंसावशेष पर किया गया या मंदिर को तोड़ने के बाद किया गया। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई के आठवें दिन ‘राम लला’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि 2.77 एकड़ के विवादित स्थल पर विशाल ‘गैर इस्लामिक’ ढांचा था, जो अनंतकाल से भगवान राम की जन्मस्थली के तौर पर हिंदुओं के लिये पूजनीय है।
उन्होंने छह दिसंबर 1992 को विवादित स्थल पर ढांचा गिराए जाने के दौरान चार गुणा दो फुट आकार का पत्थर का पुराना स्लैब बरामद किये जाने का उल्लेख किया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट और विशेषज्ञों और एक प्रत्यक्षदर्शी पत्रकार की गवाही को पढ़ा ताकि इस निष्कर्ष को उजागर किया जा सके कि वहां विशाल मंदिर था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘एएसआई न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुराने स्थलों और स्मारकों की खुदाई, शोध और संरक्षण के अपने काम के संबंध में बेहद प्रतिष्ठित निकाय है- एएसआई पर विश्वास नहीं करने का कोई कारण नहीं है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।