Prabhasakshi NewsRoom: Rashid की इंजीनियरिंग दिखा रही कमाल, Jamaat के पूर्व सदस्यों और AIP का हुआ गठबंधन, Omar-Mehbooba बेचैन

By नीरज कुमार दुबे | Sep 16, 2024

जम्मू-कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के बारे में माना जा रहा है कि वह राज्य विधानसभा चुनावों में सबसे बड़े गेमचेंजर साबित होंगे। दिल्ली की तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद से उन्होंने पूरे कश्मीर में जिस तरह चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है उससे प्रदर्शित हो रहा है कि उनके नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) सबसे बड़े दल के रूप में उभरने का पूरा प्रयास कर रही है। शेख अब्दुल रशीद का प्रयास है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों को कश्मीर घाटी से हर हालत में बाहर किया जाये इसके लिए वह निर्दलीयों और अन्य क्षेत्रीय दलों से भी संपर्क साध रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के पूर्व सदस्यों के साथ गठबंधन करने का ऐलान किया है। हम आपको बता दें कि मोदी सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसलिए जमात के कई प्रभावशाली सदस्य निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। हम आपको बता दें कि जमात अलगाववादी संगठन है और इसके सदस्यों का चुनाव मैदान में उतरना आश्चर्यजनक माना जा रहा है।


जहां तक इंजीनियर रशीद की पार्टी के साथ जमात के पूर्व सदस्यों के गठबंधन की बात है तो आपको बता दें कि अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने एक बयान में कहा है कि एक संयुक्त बैठक हुई, जिसमें एआईपी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने किया, जबकि जेईआई के पूर्व सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गुलाम कादिर वानी ने किया। एआईपी के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष क्षेत्र की जनता के व्यापक हित में मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य एआईपी और जेईआई समर्थित उम्मीदवारों के लिए शानदार जीत हासिल करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास मजबूत प्रतिनिधि हों, जो उनकी भावनाओं और आकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकें। उन्होंने कहा, ‘‘व्यापक विचार-विमर्श के बाद, यह सहमति बनी कि एआईपी कुलगाम और पुलवामा में जेईआई समर्थित उम्मीदवारों का समर्थन करेगी। इसी प्रकार, जेईआई के पूर्व सदस्य पूरे कश्मीर में एआईपी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देंगे।’’ उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में एआईपी और जेईआई के पूर्व सदस्य चुनाव मैदान में हैं, वहां गठबंधन ने "दोस्ताना मुकाबले" के लिए सहमति जताई है, खासकर लंगेट, देवसर और जैनापोरा जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में। प्रवक्ता ने कहा कि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावों में एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने और क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने में एकता के महत्व को रेखांकित किया।''

इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: विमर्श के विषय

इस बीच, लोकसभा सदस्य अब्दुल रशीद ने कहा है कि उनकी ‘अवामी इत्तेहाद पार्टी’ विधानसभा चुनाव सत्ता के लिए नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर के लोगों को सच्चा प्रतिनिधित्व देने के लिए लड़ रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग न तो भारत के दुश्मन हैं और न ही पाकिस्तान के एजेंट हैं और उन्हें मवेशियों की तरह एक तरफ या दूसरी तरफ नहीं ले जाया जा सकता। रशीद ने कहा, ‘‘सरकार गठन और गठबंधन मेरे और मेरी पार्टी के लिए मायने नहीं रखते। मैं यहां लोगों को सच्चा प्रतिनिधित्व देने के लिए हूं, खासकर 5 अगस्त 2019 को जो कुछ भी हुआ (अनुच्छेद 370 को निरस्त करना) उसके बाद।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को अवामी इत्तेहाद पार्टी का एजेंडा पसंद आ रहा है और यह उत्तर कश्मीर में लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है।’’ सांसद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कश्मीर घाटी में हुआ अभूतपूर्व मतदान, केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के कदम के खिलाफ फैसला है।


उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने अपनी बात स्पष्ट रूप से कही है और अब राजनीतिक नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे इस भावना का सच्चा प्रतिनिधित्व करें जो मत पत्र के माध्यम से व्यक्त की गई है। एआईपी सुप्रीमो ने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के विशेष प्रावधानों को बहाल करने का प्रयास करेगी और वह इस संबंध में हर वैध और लोकतांत्रिक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में अंतिम फैसला जनता का होता है। हम उनके बीच आये हैं और अब अपने वोट के माध्यम से उनके बोलने की बारी है।’’ रशीद ने कहा कि वह अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतरने से नहीं हिचकिचाएंगे। लोकसभा सदस्य ने उम्मीद जताई कि उन्हें नियमित जमानत मिल जाएगी ताकि वह संसद में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं दो बार विधायक रह चुका हूं और सच बोलने के कारण ही शायद मुझे सदन से ज्यादातर बाहर निकाला गया। मैं लोगों के मुद्दे उठाता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि संसद में मेरे साथ यह नहीं दोहराया जाएगा और वे मुझे बोलने की अनुमति देंगे।’’


हम आपको बता दें कि आतंकवाद को वित्त पोषण के आरोपों का सामना कर रहे सांसद रशीद ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि यहां के लोगों को या तो भारत का दुश्मन या पाकिस्तान का एजेंट करार दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हम भारत के दुश्मन नहीं हैं और हम पाकिस्तान के एजेंट भी नहीं हैं। कश्मीर के लोग मवेशी नहीं हैं, जिन्हें एक तरफ या दूसरी तरफ ले हांका जा सके।’’ रशीद ने कहा कि अगर भारत वैश्विक समुदाय में अपना उचित स्थान प्राप्त करना चाहता है तो कश्मीर मुद्दे को सुलझाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के नेता कह रहे हैं कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भारत में शामिल होना चाहते हैं। यह सच बात हो सकती है, लेकिन हम यह कैसे जान सकते हैं? इसी तरह, इस तरफ (पीओके के इस ओर) के लोगों की शिकायतों का भी समाधान किया जाना चाहिए। मेरे जैसे लोगों या हुर्रियत नेताओं को जेल में डाल कर कश्मीर मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता।’’ इंजीनियर रशीद ने कहा कि कश्मीर के लोगों से अधिक शांति को इच्छुक कोई और नहीं है, लेकिन यह सम्मान और गरिमा के साथ हो।


उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी हितधारकों के साथ बातचीत की मांग कर रहे हैं। अगर नगा और तालिबान के साथ बातचीत की जा सकती है, तो केंद्र जम्मू कश्मीर के लोगों से बात करने से क्यों हिचकता है?’’ रशीद ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार ने मुझे जेल में ही रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं खुशकिस्मत हूं कि (दिल्ली के मुख्यमंत्री) अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मिल गई, जिसने मेरे लिए एक नजीर का काम किया।’’ आतंकवाद को वित्त पोषण से जुड़े आरोपों में, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा 2019 में गिरफ्तार किये गए रशीद को 10 सितंबर को अपनी अवामी इत्तेहाद पार्टी के उम्मीदवारों के लिए 2 अक्टूबर तक चुनाव प्रचार करने के वास्ते अंतरिम जमानत मिली है।


शेख अब्दुल रशीद ने साथ ही उन आरोपों को दृढ़ता से खारिज किया है कि वह ‘‘पर्दे के पीछे’’ से भाजपा के सहयोगी के रूप में काम करते हैं और कहा कि आम चुनावों में उनकी चुनावी सफलता नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘नया कश्मीर’ पहल के खिलाफ जनता की भावनाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें भाजपा का ‘‘सहयोगी’’ बता रहे हैं, उन्हें ‘‘खुद पर शर्म आनी चाहिए’’ क्योंकि वह खुद को मुख्यधारा का एकमात्र ऐसा नेता मानते हैं, जिसे सत्तारुढ़ पार्टी से ‘‘उत्पीड़न’’ का सामना करना पड़ा है।


रशीद ने पूर्व मुख्यमंत्रियों - नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती की भी आलोचना की और दावा किया कि दोनों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को निराश किया है, खासकर अगस्त 2019 में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अधिक निराशा हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग मुझ पर भाजपा का सहयोगी होने का आरोप लगाते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। मैं अकेला व्यक्ति हूं जिसे भाजपा ने प्रताड़ित किया है। उमर और महबूबा को कई महीनों तक एसकेआईसीसी में रखा गया था, मैं तिहाड़ जेल में बंद एकमात्र विधायक था।’’ 


उमर अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट पर दो लाख से अधिक मतों से पराजित करने वाले रशीद ने कहा, ‘‘वह (अब्दुल्ला) न तो (महात्मा) गांधी बन सके और न ही सुभाष चंद्र बोस और इसी तरह महबूबा न तो (रानी) रजिया सुल्तान बन सकीं और न ही म्यांमा की आंग सान सू की। वे कठपुतली हैं, रबर स्टाम्प हैं..।’’ 

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत