बाल यौन उत्पीड़न के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई अदालत ने कार्डिनल को क्यों किया बरी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 07, 2020

कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया के उच्चतम न्यायालय ने बाल यौन उत्पीड़न मामले में दोषी करार दिए गए सबसे वरिष्ठ कार्डिनल की सजाओं को रद्द कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुसान कीफल ने कार्डिनल जॉर्ज पेल की याचिका पर मंगलवार को सात न्यायाधीशों के फैसले की घोषणा की। इस फैसले का अर्थ है कि वह 13 माह की सजा काटने के बाद बार्वन जेल से रिहा कर दिए जाएंगे। उन्हें इस मामले में छह साल की सजा सुनाई गई थी।

इसे भी पढ़ें: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा मास्क कोरोना वायरस को नहीं कर सकता खत्म

पोप फ्रांसिस के पूर्व वित्त मंत्री को 2018 में विक्टोरिया राज्य की जूरी ने दिसंबर 1996 में मेलबर्न के सेंट पैट्रिक्स कैथेड्रल में गायकमंडली के 13 साल के दो लड़कों के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया था। पेल को पैरोल का पात्र होने से पहले जेल में तीन साल आठ महीने की सजा काटने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट ने पाया कि विक्टोरिया की अपीली अदालत अपने 2-1 बहुमत वाले फैसले में गलत थी। विक्टोरिया की अपीली अदालत ने जूरी के फैसले को बरकरार रखा था। पेल को वेटिकन का तीसरा उच्च रैंकिंग अधिकारी माना जाता है। वह वर्षों पहले अपने ऊपर लगे बाल यौन उत्पीड़न के कई आरोपों को गलत साबित करने के संकल्प के साथ स्वयं अपनी इच्छा सेजुलाई 2017 में मेलबर्न लौट कर आए थे।

इसे भी पढ़ें: UN Security Council बृहस्पतिवार को करेगी कोविड-19 पर वार्ता

पिछले कुछ वक्त में इस मामले में हुई प्राथमिक सुनवाइयों में सारे आरोप या तो अभियोजकों ने वापस ले लिए थे या अदालतों ने खारिज कर दिए थे लेकिन कैथेड्रल के आरोपों पर सुनवाई जारी थी। पेल को सजा गायकमंडली के एक लड़के की गवाही पर हुई थी जिसकी उम्र अब 30 के आस-पास है, जबकि आरोप लगाने वाले दूसरे लड़के की हेरोइन का अत्यधिक सेवन करने से 31 साल की उम्र में मौत हो गई थी। कार्डिनल पेल ने कहा कि उन्हें बरी किया जाना, उनके साथ हुए “गंभीर अन्याय” की भरपाई करता है लेकिन उनके मन में आरोप लगाने वाले के खिलाफ कोई द्वेष नहीं है।

प्रमुख खबरें

Zia Ur Rehman Barq: एक कमरे में चार पंखे! ज़ियाउर्रहमान के घर बिजली चोरी की जांच कहां तक पहुंची?

राजस्थान : महिला ने बेटी को कुएं में फेंकने के बाद आत्महत्या की

दिल्ली में एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में, न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस

टिफिन में मांसाहार लेकर स्कूल आने वाले बच्चों को उच्च न्यायालय से मिली राहत