हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना कार्तिक मास 10 अक्टूबर से आरंभ होकर 8 नवंबर तक चलेगा। इस हिंदी महीने में दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो वैभव वृद्धि करने वाले हैं। कार्तिक मास के स्वामी पद्मनाभ हैं। इसलिए ये भगवान विष्णु की आराधना का समय है, लेकिन इन दिनों दीपावली और तुलसी विवाह होने से ये लक्ष्मी की कृपा पाने का भी महीना है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर- जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस तरह कार्तिक मास लक्ष्मी और विष्णु दोनों की आराधना का खास समय है। कार्तिक मास में 10 अक्टूबर से 8 नवंबर तक तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर सर्वार्थसिद्धि, राजयोग, त्रिपुष्कर, अमृतसिद्धि और रवियोग बन रहे हैं। इन शुभ संयोगों से सुख और समृद्धि बढ़ेगी। विशेष योग संयोग में गहने, नई प्रॉपर्टी की खरीद या फ्लैट बुक कराना फायदेमंद रहेगा। साथ ही इस दिन नए कामों की शुरुआत करना भी सफलतादायक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि आश्विन मास की पूर्णिमा लक्ष्मी के पृथ्वी पर आगमन की मानी गई है। इसे हम शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसके अगले दिन से ही कार्तिक महीने की शुरुआत हो जाती है। ये ही वजह है कि कार्तिक मास को लक्ष्मी की आराधना का सबसे अच्छा समय माना गया है। इसलिए इस मास की अमावस्या पर लक्ष्मी जी की महापूजा की परंपरा बनी है। धर्म ग्रंथ कहते हैं कार्तिक मास में किया गया जप, तप, व्रत और दान ये अक्षय फल देते हैं। इनका पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस महीने में विष्णु के साथ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए किए गए उपाय भी अक्षय फल देते हैं।
कार्तिक मास में दान-पुण्य जरूर करें
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान जरूर करें। त्योहारों का समय है तो जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, नए कपड़े, जूते-चप्पल का दान भी कर सकते हैं। इन दिनों में गायों की देखभाल के लिए भी दान जरूर करें।
नदी स्नान करने की है परंपरा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। स्नान घाट पर ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।
जप और ध्यान के लिए कार्तिक मास
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है। इन दिनों में मौसम ऐसा रहता है, जिससे मन जल्दी एकाग्र हो जाता है और जप-ध्यान करने से अशांति दूर हो जाती है। ध्यान करने के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए।
खान-पान दें ध्यान
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अभी ठंड शुरू हो जाएगी। इन दिनों में खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करें, जो शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देती है। गर्म केसर वाला दूध पीएं। मौसमी फल खाएं। साथ ही, इस महीने में पहनावे पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर पर बाहरी ठंड का जरूरत से अधिक असर न हो, वर्ना सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारी हो सकती है।
पूरे महीने में शुभ योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया किकार्तिक मास में 10 अक्टूबर से 8 नवंबर तक तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर सर्वार्थसिद्धि, राजयोग, त्रिपुष्कर, अमृतसिद्धि, और रवियोग बन रहे हैं। इन शुभ संयोगों से सुख और समृद्धि बढ़ेगी। 21 अक्टूबर को रमा एकादशी और 5 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी रहेगी। ये दोनों ही दिन भगवान को प्रिय को है। इसलिए इन तिथियों में विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। शुभ संयोग में प्रॉपर्टी, निवेश और महत्वपूर्ण लेन-देन करने से धन लाभ होने की संभावना और बढ़ जाएगी।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 10 अक्टूबर से 8 नवंबर तक तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर सर्वार्थसिद्धि, राजयोग, त्रिपुष्कर, अमृतसिद्धि, और रवियोग बन रहे हैं। इन शुभ संयोगों से सुख और समृद्धि बढ़ेगी।
11 अक्टूबर, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि योग, राजयोग
15 अक्टूबर, रवियोग
17 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग
21 अक्टूबर राजयोग
22 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग
23 अक्टूबर, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि योग
27 अक्टूबर, सर्वार्थसिद्धि योग
28 अक्टूबर राजयोग, रवियोग
30 अक्टूबर, सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग
31 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग
1 नवंबर, सर्वार्थसिद्धि योग
7 नवंबर, सर्वार्थसिद्धि योग
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक