By रेनू तिवारी | Sep 26, 2021
इंदौर। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रधान मंत्री बनना चाहिए था जब 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) पहली बार सत्ता में आयी थी। उन्होंने कहा कि उनका "विदेशी मूल" मुद्दा व्यर्थ था क्योंकि वह एक भारतीय नागरिक और लोकसभा सदस्य हैं। शनिवार को इंदौर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अठावले ने कहा कि “जब 2004 के चुनावों में यूपीए को बहुमत मिला, तो मैंने प्रस्ताव दिया था कि सोनिया गांधी को प्रधान मंत्री बनना चाहिए। मेरा मानना था कि उनके विदेशी मूल के मुद्दे का कोई मतलब नहीं है। अगर कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं तो भारत की नागरिक, राजीव गांधी (पूर्व पीएम) की पत्नी और निर्वाचित लोकसभा सांसद सोनिया गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकतीं? उन्होंने यह भी कहा कि अगर सोनिया गांधी उस समय पीएम का पद स्वीकार नहीं करना चाहती थीं तो उन्हें मनमोहन सिंह के बजाय दिग्गज नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को पीएम बनाना चाहिए था।
सोनिया गांधी को बनना चाहिए था 2004 में प्रधानमंत्री
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों के संदर्भ में बेमानी करार देते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने शनिवार को कहा कि अगर भारतवंशी कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो इटली में जन्मीं सोनिया गांधी भी 17 साल पहले आम चुनावों में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की जीत के बाद भारत की प्रधानमंत्री बन सकती थीं। केंद्रीय मंत्री ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं और उन्होंने वहां हैरिस के साथ बैठक भी की है।
हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो सोनिया प्रधानमंत्री क्यों नहीं
आठवले ने यहां संवाददाताओं से कहा, जब 2004 के चुनावों में संप्रग को बहुमत मिला था, तब मैंने प्रस्ताव रखा था कि सोनिया गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। तब मेरा मत था कि उनके विदेशी मूल के मुद्दे का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने आगे कहा, अगर कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो भारत की नागरिक, राजीव गांधी की पत्नी और लोकसभा के लिए चुनी गईं सोनिया गांधी इस देश की प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकती थीं? केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2004 में गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए था और अगर उन्हें यह पद स्वीकार नहीं करना था, तो कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी के तत्कालीन वरिष्ठ नेता शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए था।
मनमोहन सिंह की बजाय शरद पवार को बनाना था प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा, पवार जन नेता होने के कारण प्रधानमंत्री पद के लायक थे और कांग्रेस को मनमोहन सिंह के स्थान पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था, लेकिन सोनिया गांधी ने ऐसा नहीं किया। आठवले ने यह भी कहा कि अगर पवार 2004 में देश के प्रधानमंत्री बनते, तो कांग्रेस की ऐसी कथित दुर्गति नहीं होती, जैसी आज हो रही है। गौरतलब है कि पवार फिलहाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख हैं। राकांपा का गठन 25 मई, 1999 को पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर किया था, जब इटली में जन्मीं सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व करने के अधिकार पर विवाद के कारण उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने हालिया सियासी घटनाक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को मजबूर होने वाले वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह से आह्वान किया कि कांग्रेस द्वारा उनके भारी अपमान के मद्देनजर उन्हें भाजपा या इसकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो जाना चाहिए। आठवले ने कहा, अगर सिंह भाजपा में आते हैं, तो पंजाब के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति मजबूत हो जाएगी।