भूजल, शुद्ध-मीठे पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह घरेलू, कृषि और औद्योषिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, अनियंत्रित निष्कर्णण, अति दोहन और संदूषण इसकी स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। केंद्र सरकार ने टिकाऊ भूजल प्रबंधन के महत्व को ध्यान में रखते हुए 5 वर्षों की अवधि के लिए 1 अप्रैल, 2020 को 6000 करोड़ रुपये (भारत सरकार की ओर से 3000 करोड़ रुपये और 3000 करोड़ रुपये विश्व बैंक की ओर से) के कुल परिव्यय के साथ अटल भूजल योजना (अटल जल) प्रारंभ की।
यह योजना 7 राज्यों- हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों, 229 प्रशासनिक ब्लॉकों और 8220 जल संकटग्रस्त ग्राम पंचायतों में क्रियान्वित हो रही है।
अटल भूजल योजना का उद्देश्य 'भूजल' जैसे बहुमूल्य संसाधन की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भूजल संरक्षण के प्रति समाज के निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर के दृष्टिकोण को जागरूक करते हुए व सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। यह योजना समुदाय को स्थायी भूजल प्रबंधन के लिए व्यवहार परिवर्तन को विकसित करने के उद्देश्य के साथ निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।
अटल भूजल योजना ने देश में भूजल प्रबंधन संबंधित सरकारी नीति में मुख्य रूप से जल आपूर्ति को बढ़ावा देने के मद्देनजर विभिन्न उपयोगों के लिए पानी की मांग को कम करने और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदर्श बदलाव की शुरूआत की।
इस योजना में शामिल 'भूजल प्रबंधन', जल संरक्षण सुनिश्चित करने, परिस्थितिक तंत्र के संतुलन और इस विकासशील राष्ट्र की तेजी से बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं भारत सरकार इसके माध्यम से जल संकट में कमी लाना, पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका के साधनों को संरक्षित करना चाहती है। यह योजना वर्तमान और भविष्य की पीढि़यों के लिए 'भूजल' जैसे महत्वपूर्ण संसाधन को संरक्षित करने से जुड़ी सामूहिक गतिविधियों के महत्व पर प्रकाश डालती है।