By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 18, 2023
कनाडा स्थित मैकगिल विश्वविद्यालय और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के खगोलविदों ने एक सुदूर आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन से निकलने वाले रेडियो सिग्नल का पता लगाया है। इस रेडियो सिग्नल को पकड़ने के लिए उन्होंने पुणे स्थित ‘जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप’ (जीएमआरटी) के डेटा का इस्तेमाल किया। आईआईएससी के एक बयान में कहा गया, जिस खगोलीय दूरी पर यह सिग्नल पकड़ा गया है, वह अब तक अंतर के मामले में सबसे बड़ा है। यह किसी आकाशगंगा से 21 सेमी का उत्सर्जन दिखने की पहली पुष्टि भी है।
इस खोज से संबंधित निष्कर्ष मंथली नोटिसेज ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। परमाणु हाइड्रोजन किसी आकाशगंगा में तारे के निर्माण के लिए आवश्यक बुनियादी ईंधन है। जब आकाशगंगा के आसपास से गर्म आयनित गैस आकाशगंगा पर गिरती है, तो गैस ठंडी हो जाती है और परमाणु हाइड्रोजन बनाती है। इसके बाद यह आणविक हाइड्रोजन बन जाती है, और फिर तारों का निर्माण होता है।
बयान में कहा गया, इसलिए, ब्रह्मांडीय समय के अनुरूप आकाशगंगाओं के विकास को समझने के लिए विभिन्न ब्रह्मांडीय युगों में तटस्थ गैस के विकास का पता लगाने की आवश्यकता है। परमाणु हाइड्रोजन 21 सेमी तरंगदैर्ध्य की रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करती है, जिसका पता जीएमआरटी जैसी कम आवृत्ति वाले रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करके लगाया जा सकता है। इस प्रकार, 21 सेमी उत्सर्जन निकट और सुदूर-दोनों तरह की आकाशगंगाओं में परमाणु गैस सामग्री का प्रत्यक्ष अनुरेखक है।
हालांकि, यह रेडियो संकेत बेहद कमजोर है और इसकी सीमित संवेदनशीलता के कारण वर्तमान दूरबीनों का उपयोग कर सुदूर आकाशगंगा से उत्सर्जन का पता लगाना लगभग असंभव है। जीएमआरटी डेटा का उपयोग करते हुए मैकगिल विश्वविद्यालय के फिजिक्स एंड ट्रॉटियर स्पेस इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ता अर्नब चक्रवर्ती और आईआईएससी के भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर निरुपम रॉय ने सुदूर आकाशगंगा में ‘रेडशिफ्ट जेड=1.29’ पर परमाणु हाइड्रोजन से उत्पन्न रेडियो संकेत का पता लगाया।
चक्रवर्ती ने कहा कि जब तक स्रोत से संकेत दूरबीन तक पहुंचा तब तक आकाशगंगा की अत्यधिक दूरी के कारण 21 सेमी उत्सर्जन रेखा 48 सेमी तक फैल गई। पकड़ा गया संकेत संबंधित आकाशगंगा से तब उत्सर्जित हुआ था जब ब्रह्मांड केवल 4.9 अरब वर्ष पुराना था। दूसरे शब्दों में कहें इस स्रोत के इतिहास को देखने का समय 8.8 अरब वर्ष है।