By नीरज कुमार दुबे | Dec 03, 2023
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम दर्शा रहे हैं कि देश में मोदी मैजिक पूरी तरह कायम है और कांग्रेस का जाति जनगणना और लोक लुभावन वादों का दांव बिल्कुल नहीं चला है बल्कि इन सबकी बजाय जनता ने मोदी की गारंटी को तवज्जो दी है। हम आपको बता दें कि शुरुआती रुझानों के मुताबिक मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा प्रचंड जीत की ओर बढ़ रही है तो छत्तीसगढ़ में भी एक बार फिर कमल खिलने के आसार नजर आ रहे हैं जबकि तेलंगाना में भी भाजपा ने पिछली बार की अपेक्षा ठीकठाक प्रदर्शन किया है। हम आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में भाजपा ने किसी भी राज्य में किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। भाजपा की यह रणनीति कामयाब होती दिख रही है।
जहां तक चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गयी मेहनत की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के आखिरी दौर में 40 के करीब चुनावी सभाओं को संबोधित किया था और कुछ रोड शो भी किए थे। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उन्होंने 14 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया जबकि मिजोरम में वह किसी भी चुनावी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। चुनावों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री ने पहली रैली छत्तीसगढ़ में की थी। इसके बाद उन्होंने दुर्ग, विश्रामपुर, मुंगेली और महासमुंद में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के साथ ही वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा और भ्रष्टाचार एवं कांग्रेस के ‘कुशासन’ को मुद्दा बनाया था। कांकेर की जनसभा को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों के नाम एक खुला पत्र भी ‘एक्स’ पर साझा करते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। उनके पत्र में लिखा था, ‘‘भाजपा ने ही बनाया, भाजपा ही संवारेगी।’’ हम आपको बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को राज्य में 68 सीटें मिली थीं तथा भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई थी। उस चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को पांच और बसपा को दो सीट मिली थी। कांग्रेस के पास फिलहाल 71 विधायक थे।
मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री ने कुल 14 जनसभाओं को संबोधित किया और इंदौर में एक रोड शो किया। इस राज्य में उनकी पहली रैली रतलाम में हुई थी। इसके बाद उन्होंने सिवनी, खंडवा, सीधी, दमोह, गुना, मुरैना, सतना, छतरपुर, नीमच, बड़वानी, बेतुल, शाजापुर और झाबुआ में चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर राज्य के लगभग सभी हिस्सों तक पहुंचने की कोशिश की। मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री का पूरा जोर ‘डबल इंजन’ की सरकार और राज्य के विकास के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता पर रहा था। इस बार मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में उतारकर दर्शा दिया था कि वह बेहद गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में शिवराज सिंह चौहान को आगे नहीं बढ़ाया गया। इससे उलट, कांग्रेस ने कमल नाथ के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा है।
इसके अलावा, कांग्रेस शासित राजस्थान में प्रधानमंत्री ने कुल 12 जनसभाओं को संबोधित किया था और इस दौरान उन्होंने अपराध और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाना बनाया था। प्रधानमंत्री ने चुनावी सभाओं के अंतिम दौर में उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड और दिवंगत नेता राजेश पायलट के साथ कांग्रेस के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व द्वारा किए गए व्यवहार को जोरशोर से उठाया था। हम आपको बता दें कि राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने जहां इस रिवाज को बदलने के लिए पूरा दमखम लगा दिया वहीं भाजपा ने मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की सत्ता में वापसी करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। प्रधानमंत्री ने जयपुर और बीकानेर में दो रोड शो भी किए थे।
तेलंगाना में प्रधानमंत्री ने कुल आठ चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया और हैदराबाद में एक रोड शो किया था। तेलंगाना में सीधी लड़ाई तो मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति और कांग्रेस के बीच है लेकिन भाजपा भी एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के मजबूती से चुनाव लड़ रही है। यहां के चुनाव में प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री केसीआर के साथ कांग्रेस पर हमला बोला और राज्य में ‘डबल इंजन’ की सरकार की वकालत की। केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार को प्रधानमंत्री अक्सर ‘डबल इंजन’ सरकार कहते हैं।
पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में प्रधानमंत्री ने कोई चुनावी रैली नहीं की थी और ना ही कोई रोड शो या अन्य कार्यक्रम किया था। मिजोरम में सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और प्रमुख विपक्षी पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट के बीच मुकाबला है।