सार्वजनिक खर्च के लिए राजस्व की जरूरत होती है: अरुण जेटली

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 20, 2017

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल, डीजल की ऊंचे कीमतों पर कहा कि सरकार को सार्वजनिक खर्च के लिए राजस्व समर्थन की जरूरत होती है, जिससे वृद्धि के रास्ते में रुकावट न आए। जेटली ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि सरकार पेट्रोल और डीजल से उत्पाद शुल्क की दरों में कटौती कर सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों द्वारा ईंधन पर ऊंचा बिक्रीकर और वैट लिया जाता है।

हालांकि, उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 11.77 रुपये प्रति लीटर बढ़ा है, जबकि डीजल पर इसमें 13.47 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ गायब हो गया। भाजपा शासित महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट की दर 46.52 प्रतिशत है। मुंबई में यह 47.64 प्रतिशत तक है। आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर 38.82 प्रतिशत वैट लगता है। मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर वैट की दर 38.79 प्रतिशत है। भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की 29 में से 18 राज्यों में सरकार है।

जेटली ने हालांकि भरोसा दिलाया कि ईंधन की कीमतें जल्द नियंत्रण में आएंगी। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि सरकार को पैसे की जरूरत होती है। आप कैसे राजमार्ग बना सकते हैं? सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाया है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की जो भी वृद्धि दर है वह सार्वजनिक खर्च और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की वजह से है। यदि सार्वजनिक खर्च कम किया जाता है तो इसका मतलब सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च में कटौती करना होगा। उन्होंने कहा कि निजी निवेश नहीं आ रहा है। संवाददाताओं ने जेटली से सवाल किया था कि क्या सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क कटौती पर विचार कर रही है।

जुलाई की शुरूआत से दिल्ली में पेट्रोल का दाम 7.44 रुपये बढ़कर 70.52 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। डीजल कीमत इस दौरान 5.35 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 58.79 रुपये प्रति लीटर हो गई है। दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 21.48 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और 14.99 रुपये वैट का हिस्सा बैठता है। ईधन कीमतों में हालिया बढ़ोतरी पर जेटली ने कहा कि आपको कई चीजें देखनी पड़ती हैं। अमेरिका में तूफान की वजह से रिफाइनिंग क्षमता प्रभावित हुई है। इससे मांग आपूर्ति का असंतुलन पैदा हुआ है जिससे अस्थायी रूप से दाम बढ़े हैं। जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों से जो कर जुटाती है उसका 42 प्रतिशत राज्यों के खाते में जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और माकपा सरकार को कहना चाहिए कि उन्हें इससे करों की जरूरत नहीं है।

उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष शासित राज्य कितना कर लगा रहे हैं। जेटली ने कहा, ‘‘आपको ध्यान होना चाहिए कि दो साल पहले जब ईंधन कीमतों की 15 दिन में समीक्षा होती थी तो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश उसी अनुपात में वैट बढ़ाते थे जितने पेट्रोल के दाम घटे हैं।’’

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