By अभिनय आकाश | May 19, 2022
ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट में अब कल शाम 3 बजे सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने तब तक वाराणसी कोर्ट में भी सुनवाई पर रोक लगा दी है। दोनों पक्षों ने आपत्तियां और जवाबी आपत्तियां दायर की थीं, अदालत ने उन सभी को सूचीबद्ध किया। मामले में (कल तक) आगे नहीं बढ़ने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी उसके सामने रखा गया था। इसलिए वाराणसी कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख सोमवार 23 मई तय की है। इससे पहले आज सुबह कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत को 14 से 16 मई तक ज्ञानवापी मस्जिद में किए गए सर्वे की रिपोर्ट सौंप दी। ज्ञानवापी मस्जिद में ये शिवलिंग है या फव्वारा? इसको लेकर बहस छिड़ी है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर तरह-तरह के दावे और तर्क दोनों ही पक्षों की ओर से दिए जा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि काशी विश्वनाथ कैंपस और इसी से लगा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर इन दोनों की स्थिति क्या है? नंदी कहां पर हैं और नंदी के सामने क्या है? शिवलिंग के पक्ष में क्या दलील दी जा रही है।
एक ओर बाबा, दूसरी ओर नंदी
कॉरिडोर बनने के बाद काशी विश्ननाथ परिसर कुछ ऐसा दिखता है जहां एक ओर बाबा विश्वनाथ विराजे हैं और दूसरी ओर नंदी जी ज्ञानवापी परिसर की ओर देख रहे हैं। इसके ठीक बगल में आपको ज्ञानवापी कूप दिख जाएगा। जिसको लेकर सदियों पुरानी मान्यता हैं। एक दीवार है जिसमें छोड़ा सा कंक्रीट और उसके ऊपर एक रेलिंस सी लगी हुई है जिससे मंदिर और मस्जिद का विभाजन होता है।
नंदी का मुंह मस्जिद की तरफ क्यों है?
नंदी जी हमेशा शिव जी की ओर मुख करके बैठते हैं। यहां तक ही आप दर्शन करने के लिए भी जाएंगे को साथ उस ओर देखेंगे तो शिवजी के दर्शन हो जाएंगे। नंदी जी के कान में जो प्रार्थना बोलेंगे वो शिव जी तक पहुंच जाएगी। ये पौराणिक मान्यताएं हैं। लेकिन यहां पर नंदी शिवलिंग की ओर नहीं देख रहे हैं। काशी विश्वनाथ परिसर में जो शिवलिंग कहीं और स्थापित रही लेकिन नंदी जी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की ओर देखते रहे। इसलिए इस बात को इतनी प्रमुखता से कहा जा रहा है कि क्या नंदी जी महादेव की ओर देख रहे थे। जो बाबा की ओर ग्रिल के उस पार देख रहे थे। जहां अब शिवलिंग मिलने के दावे वजूखाने में मिलने के दावे किए जा रहे हैं।
शिवलिंग के पक्ष में दी जा रही 5 दलील
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जिस तरफ नंदी का मुख होता है उधर की भगवान शिव का वास होता है। नंदी भगवान शिव के वाहन हैं इसलिए शिवलिंग के दर्शन के पहले नंदी का आशीर्वाद लिया जाता है।
वकील विष्णु जैन ने शिवलिंग होने के पुख्ता दावा किए जाने को लेकर कहा कि फव्वारे और शिवलिंग के आकार में बहुत फर्क होता है। फव्वारा पानी के ऊपर होता है और वजूखाने में नीचे है।
फव्वारा है तो उसके नीचे पानी की आपूर्ति की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. जहां शिवलिंग मिला है उसके नीचे तहखाने की जांच की जाए और शिवलिंग के आकार को नापने की भी इजाजत दी जा
वकील विष्णु जैन का कहना है कि फव्वारा है तो उसके नीचे पानी की आपूर्ति की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। जहां शिवलिंग है, उसके नीचे तहखाने की जांच की जाए और शिवलिंग के आकार को नापने की भी इजाजत दी जाए।
महिला याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आज तक शिवलिंग के आकार का फव्वारा नहीं देखा गया। फव्वारा हमेशा पानी के बाहर होता है न कि अंदर।