वैसे तो इंसान की सोचने-समझने की क्षमता अन्य जीव-जन्तुओं और पशु-पक्षियों से अलग बनाती है। लेकिन आज कल मनुष्य ज्यादा ओवरथिंकिंग करने लगा है। जिससे वे दिनों-दिन तनाव में रहने लगे। अधिकत्तर युवाओं में ओवरथिंकिंग से ग्रस्त है। इसे छोड़ना काफी मुश्किल है। अगर आप जितना ज्यादा समय किसी चीज में के बारे में सोचने लगेंगे उतना ही आपको कम समय और एनर्जी उनके पास बचती है। ओवरथिंकिंग व्यक्ति की मेंटल हेल्थ के साथ फिजिकल हेल्थ पर बुरा असर डालती है।
ओवरथिंकिंग की वजह क्या है?
ओवरथिंकिंग में किसी घटना या व्यक्ति को लेकर काफी विचार आने लगते हैं। इन विचारों से ओवरथिंकिंग का एक बड़ा कारण तनाव भी है। किसी मामूली गलती के लिए बहुत ज्यादा गिल्ट में जीना। किसी निर्णय के गलत हो जाने का डर से भी ओवरथिंकिंग होती है। खुद पर कंट्रोल खो देने के डर से या फिर अतीत के किसी दुखद अनुभव की वजह से। सोशल मीडिया पर ट्रोल होने की वजह भी हो सकती है।
ओवरथिंकिंग का मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक असर
अगर आप ज्यादा ही ओवरथिंकिंग करते हैं तो इससे आपके मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। जैसे कि स्ट्रेस, डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है। आप किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित करने पर तकलीफ हो सकती है। आपको तरह-तरह के निगेटिव विचार आ सकते हैं। चिड़चिड़ापन हो सकता है और थकान का अनुभव कर सकते हैं। घबराहट और बेचैनी हो सकती है।
ओवरथिंकिंग से कैसे पाएं छुटकारा
अगर आप ओवरथिंकिंग से बचना चाहते हैं तो इन टिप्स को फॉलो करना काफी जरुरी है। इससे बचने के लिए आप रोजाना फिजिकल एक्टिविटी या मेडिटेशन कर सकते हैं। आप अपने विचारों को लिखकर और अपनी सफलताओ पर केंद्रित करके ओवरथिंकिंग को कम किया जा सकता है। आप डेली मोटिवेशनल पॉडकास्ट सुन सकते हैं। खाली समय में किताबें पढ़ें या म्यूजित सुनें। अपने दिमाग से निगेटिव विचार निकाल दें। हमेशा अपनी सफलताओं को लिए खुद को शाबाशी जरुर दें। फैमिली और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताएं। जब आप अकेले और खाली नहीं रहना चाहते तो खुद को क्रिएटिव कामों में व्यस्त करें। रोजाना आप आधा घंटा वर्कआउट या वॉक जरुर करें। जब आपको लगे कि साइकोलॉजिस्ट की मदद चाहिए, तो एक बार आप खुद को जरुर दिखाएं।