chai par sameeksha: क्या हुड्डा-सैलजा के गिले-शिकवे हुए दूर? हरियाणा में अभी कौन चल रहा आगे?

By अंकित सिंह | Sep 30, 2024

प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने जम्मू कश्मीर और हरियाणा चुनाव के साथ-साथ कर्नाटक में मचे सियासी उठापटक पर भी चर्चा की है। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। हरियाणा को लेकर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि कहीं ना कहीं भाजपा कांग्रेस के बीच टफ फाइट है। भाजपा ने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी है। भाजपा पूरी मेहनत कर रही है। वहीं कांग्रेस के भीतर गुटबाजी साफ तौर पर देखने को मिल रही है। कांग्रेस इस चुनाव को पूरी तरीके से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़ रही है जिसकी वजह से सैलजा और सूरजेवाला अब भी नाराज है। दूसरी ओर जम्मू कश्मीर को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि वहां लोकतंत्र मजबूत हुआ है। मतदान की प्रतिशत यह बता रहे हैं कि वहां लोग लोकतंत्र में विश्वास करने लगे हैं। 


जम्मू कश्मीर के बारे में बात करते हुए नीरज कुमार दुबे ने कहा कि अगर देखा जाए तो जम्मू क्षेत्र में पिछले तीन-चार चुनाव में भाजपा का प्रभाव सर्वश्रेष्ठ रहा है। वहीं कश्मीर में अभी भी भाजपा अपना खाता खोलने के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि डीडीसी चुनाव में भाजपा के एक उम्मीदवार ने जीत जरूर हासिल की थी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर जो लोग कहते थे कि लोकतंत्र नहीं है, उसके मुंह पर इस बार करारा तमाचा लगा है। जम्मू कश्मीर के लोग जिस तरीके से लोकतंत्र को देखकर उत्साह दिखा रहे हैं, वह कहीं ना कहीं भारत के लिए अच्छी खबर है। जम्मू कश्मीर लगातार विकास के रास्ते पर चल रहा है। जम्मू कश्मीर के सुदूर इलाकों में विकास हो रहे हैं। वहां भी चुनाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है, जहां हाल में भी आतंकी हमले हुए थे। 

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हरियाणा में माहौल

नीरज दुबे ने कहा कि पिछले 15 दिनों से हरियाणा में घूमने के बाद कह सकता हूं कि दिल्ली नगर निगम चुनाव की तरह ही हरियाणा में आश्चर्यजनक नतीजे आने वाले हैं। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होने की भविष्यवाणी की गई थी लेकिन वह नजदीकी मुकाबले में सिर्फ कुछ सीटों से पिछड़ गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आ रही है, यह हवा चलाई गई, लेकिन इसका नुकसान यह हुआ है कि जनता सतर्क हो गई है और कांग्रेस से बचने की कोशिश कर रही है। जनता को पता है कि अगर कांग्रेस आई तो निश्चित रूप से हुड्डा को कमान सौंपी जाएगी जिससे हुड्डा अपने आलाकमान को खुश रखने के लिए प्रदेश के संसाधनों का दुरुपयोग करते रहेंगे।


नीरज दुबे ने कहा कियह भी याद रखना चाहिए कि तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला बराबरी पर समाप्त हुआ था। जितनी ताकत राज्य में भाजपा लगा रही है उतनी ही कांग्रेस भी। यदि भाजपा के वोटर लोकसभा चुनावों की तरह घर पर बैठने की बजाय इस बार मतदान केंद्र तक पहुंचे तो कोई ताकत भाजपा को तीसरी बार सरकार बनाने से नहीं रोक सकती। एक बात और, ये जो छोटे छोटे दल सरकार बनाने की चाभी अपने हाथ में आने के दावे कर रहे हैं वो सब खारिज होने वाले हैं। इस बार चाभी किसी के पास आएगी तो वो अभय चौटाला हो सकते हैं। उनकी पार्टी के पास चार से पांच सीट आ सकती हैं। ऐसा लग रहा है जैसे पिछली बार उनका भतीजा दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बना था उसी तर्ज पर इस बार उपमुख्यमंत्री पद अभय सिंह चौटाला के हाथ लग सकता है।

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