Jago Nagrik Jago। क्या पुरुष भी होते हैं घरेलू हिंसा का शिकार, फर्जी दहेज केस से खुद को कैसे बचाएं?

By अंकित सिंह | Apr 02, 2024

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम जागो नागरिक जागो में इस बार हमने टॉपिक थोड़ा हटके लिया था। हालांकि, हमारा विषय आज के समय की जरूरत बनता जा रहा है। हमने पुरुषों के खिलाफ होने वाले घरेलू हिंसाओं पर बातचीत की है। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं जानी-मानी कानून विशेषज्ञ आकांक्षा सिंह। आकांक्षा सिंह से हमने यह जानने की कोशिश की कि घरेलू हिंसा के शिकार पुरुष कैसे अपनी शिकायत कर सकते हैं? उन्हें किस तरीके से कानूनी संरक्षण मिल सकता है? साथ ही साथ हमने यह भी जानना चाहा कि क्या मैन प्रोटेक्शन बिल की जरूरत है? सभी विषय पर उन्होंने विस्तार से बातचीत की है। 

 

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आकांक्षा सिंह ने कहा कि हमारे देश में सभी को समान अधिकार है। हालांकि, समाज में जो पीछे रहे हैं उनको प्रोत्साहित करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। महिलाओं को लेकर भी कानून बनाया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पुरुषों को प्रताड़ित किया जा सके। उन्होंने कहा कि हां, कई बार ऐसे मामले आए हैं, जब पुरुषों को प्रताड़ित होना पड़ा है। इसमें कई बार फेक केस का सहारा लिया जाता है। इस बात का ध्यान रखना होगा कि पुरुषों के साथ किस तरीके का प्रताड़ना हो रहा है, इसी के तहत भारतीय न्याय संहिता के तहत सेक्शन 98 से लेकर 144 तक है।


जानी-मानी कानून विशेषज्ञ ने कहा कि किसी आदमी को प्रताड़ित किया जाता है, बार-बार धमकी दिया जाता है तो पुरुष को सीधे पुलिस स्टेशन जाना चाहिए। इसके लिए अलावा वह मजिस्ट्रेट के पास भी जा सकता है। अगर केस में FIR की संभावना है तो आप इसके लिए जा सकते हैं। अगर कोई फेक केस लगाने की बात हो रही है तो भी आप पुलिस स्टेशन जा सकते हैं। अगर लगातार आपको परेशान किया जा रहा है तो आप मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप ज्यादा परेशान हो रहे हैं तो आप अपने घर वालों से बात कीजिए। वकील से बात कीजिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी कानून का दुरुपयोग हो रहा है तो उसे पर भी गौर करने की आवश्यकता है।

 

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मैन प्रोटक्शन बिल के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिल तो बन सकता है, लेकिन सवाल यही है कि प्रोटेक्शन किससे चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बिल से पहले मैन कमीशन होना चाहिए। घरेलू हिंसा को लेकर भी पुरुषों को थोड़ा प्रोटेक्शन चाहिए। पुरुष मानसिक तनाव में ना जाए, इसके लिए भी प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुसाइड रेट जो पुरुषों का है, वह ज्यादा है। पुरुषों पर कई प्रकार की टेंशन है इसलिए कमीशन की आवश्यकता है। 

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