By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 31, 2020
नयी दिल्ली।अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस संकट से उबारने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक पैकेज में कृषि क्षेत्र की घोषणाओं पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन और कृषि उपज अपनी पसंद के बाजार में बेचने की छूट मिलने से किसानों को मुगलों के जमाने से चले आ रहे नियमों से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये उपाय किसानों की आय दोगुनी करने में भी कारगर साबित होंगे।
ठाकुर ने ‘भाषा’ से खास बातचीत में कहा कि कृषि वैज्ञानिकों, किसानों ने सरकार की इस घोषणा का स्वागत किया है। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मुगलों के जमाने से चले आ रहे इन नियमों की जंजीरों में बंधे किसान को मुक्ति दिलाने का काम किया है। पिछले कई दशकों से जो किसान आवश्यक वस्तु कानून, कृषि उपज मंडी कानून और कई दूसरे कानूनों में जकड़ा हुआ था, सरकार की घोषणाओं से उसे निजात मिलेगी।
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उन्होंने कहा सरकार किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत दिलाने को प्रतिबद्ध है और जिस प्रकार मोदी सरकार ने दूसरे कानून पारित कराये हैं उसकी प्रकार कृषि क्षेत्र में सुधारों के कानून भी पारित करायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार संसद में ये कानून लायेगी और उन्हें पारित करायेगी। ताकि किसानों को आवश्यक वस्तु कानून की बंदिशों से मुक्त कराया जा सके। सरकार ने जीएसटी कानून, दिवालिया एवं रिणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी), बैक धोखाधड़ी अपराध कानून जैसे कई कदम उठाये हैं। किसानों के हित में सरकार इन नये कदमों को उठाने से भी पीछे नहीं हटेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि कृषि सुधारों की मोदी सरकार की घोषणाओं का किसानों को कितना फायदा होगा, ठाकुर ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर इसका किसानों को फायदा होगा।
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ई- नाम के जरिये आप ब्लॉक, जिला स्तर में मंडी से जुड़कर बेहतर दाम देखकर माल बेच सकते हैं। यह शेयर ट्रेडिंग की तरह होता है, कहीं भी माल बेच सकते हैं। पहले किसानों को मजबूर किया जाता रहा है। कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) कानून के तहत उसे मंडी के जरिये माल ले जाना पड़ता था, इससे किसान को समस्या होती है। भंडारण की भी सुविधा नहीं होती है ताकि अच्छा दाम मिलने पर किसान माल बेच सके। देश खाद्यान्न के मामले में अधिशेष की स्थिति में है लेकिन विकल्प नहीं होने के कारण किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पाने के लिये भी तरसता है।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। सरकार इस दिशा में लगातार कदम उठा रही है। कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य उनकी लागत के डेढ गुणा पर तय किये जा रहे हैं। अब किसानों को कृषि उपज जहां उनकी इच्छा हो उस मंडी में बेचने की छूट दी जा रही है। ‘‘इसके लिये भी एक केन्द्रीय कानून बनाया जायेगा जिसमें एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उपज लाने ले जाने में कोई अड़चन नहीं होगी और कृषि उत्पादों की इलेक्ट्रानिक- मंच के जरिये देशभर में कहीं भी खरीद-फरोख्त की जा सकेगी।’’
ठाकुर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ‘आपरेशनल ग्रींस’’ योजना अब तक केवल टमाटर, प्याज और आलू’ के लिये थी। अब यह सभी फल एवं सब्जियों पर लागू होगी। फल एवं सब्जी उत्पादक किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा। इस योजना में इन उत्पादों को अधिकता वाले इलाकों से कमी वाले इलाकों में पहुंचाने पर परिवहन लागत में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। भंडारण लागत में भी 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इस विस्तार को शुरुआत में छह माह के लिये बढ़ाया गया है। बाद में इसे और आगे बढ़ाया जाएगा। इससे किसानों को तो लाभ होगा ही फल एवं सब्जियों की बर्बादी भी कम होगी।
कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। उसी पैकेज के तहत सरकार ने कृषि उपज को बेचने और प्रसंस्करण के क्षेत्र में कई घोषणायें कीं। खेतों से लेकर उपज को मंडियों और गोदामों तक पहुंचाने के लिये जरूरी ढांचा खड़ा करने के वास्ते एक लाख करोड़ रुपये का ‘कृषि अवसंरचना कोष’ बनाने की घोषणा की है। कुटीर, एवं जड़ी-बूटी क्षेत्र के लिये सूक्ष्म खाद्य उद्यम खड़े करने के लिये दस हजार करोड़ रुपये, मछली पालन क्षेत्र के लिये प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपये, पशुपालन क्षेत्र के लिये ढांचागत सुविधा बनाने हेतू 15 हजार करोड़ के कोष तथा शहद के उत्पादन, विपणन विकास के लिये 500 करोड़ रुपयेघोषणा की गई है।