By विजय शर्मा | Aug 19, 2021
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा 19 से 23 अगस्त तक चलेगी और प्रदेश के सभी चार लोकसभा क्षेत्रों और करीब 37 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। यह यात्रा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह जन आशीर्वाद यात्रा हिमाचल ही नहीं बल्कि उन सभी प्रदेशों में आयोजित की जा रही है, जहां से नए मंत्री बनाए गए हैं। इस यात्रा की रूपरेखा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में बनी थी। जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर भाजपा कार्यकर्ता पूरे जोश में हैं और प्रदेश में राजनीतिक जोर-आजमाइश शुरू हो चुकी है और कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश को अनुराग ठाकुर के पोस्टर-बैनर से पाट दिया है। लेकिन प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में कहीं यह आशीर्वाद यात्रा प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण यात्रा न बन जाए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सुरेश कश्यप के लिए इस आशीर्वाद योजना को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि सत्तारुढ़ पार्टी के केन्द्रीय मंत्री की अगुवाई में होनी वाली ऐसी यात्राओं में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराना असंभव है जिससे कोरोना का संक्रमण नियंत्रण से बाहर हो सकता है और स्थिति खराब हो सकती है। हालांकि भाजपा अध्यक्ष मानते हैं कि कोरोना नियंत्रण में है और जन आशीर्वाद यात्रा पूरे जोशो-खरोश से होगी। आम जनता में इस बात को लेकर रोष है कि प्रदेश के नेता एक तरफ तो कोरोना के नाम पर जनता से मिलने से परहेज करते हैं। यहां तक कि प्रदेश के सांसद और मंत्री भी कोरोना के नाम पर जनता से दूर भागते हैं और उनकी दुख-तकलीफ में मदद नहीं करते। दरअसल कोरोना की पहली लहर के बाद से ही सांसद और मंत्री जनता से दूर हैं। केवल मीडिया के जरिए ही उनका जनता से संवाद होता है। स्वयं अनुराग ठाकुर भी पहले की तरह जनता से नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव होने हैं। स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मानते हैं कि उन्हें काम करने का समय कम मिला और ज्यादातर समय कोरोना प्रबंधन में ही गुजर गया। लेकिन प्रदेश की जनता को यह तो बताना ही होगा कि महंगाई, बेरोजगारी और प्रदेश को कर्ज से उबारने के लिए उन्होंने क्या किया और डबल इंजन की सरकार से प्रदेश की जनता कितना लाभान्वित हुई है।
यात्रा से ठीक पहले प्रदेश में हर दिन तकरीबन 300 से अधिक मामले आ रहे हैं ऐसे में यह आशीर्वाद यात्रा चिंता का सबब जरूर है। अगर इस यात्रा के बाद कोरोना के मामले बढ़ते हैं और स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती है तो इसका ठीकरा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा के सिर फूटेगा और उन्हें प्रदेश की जनता के आशीर्वाद की बजाए उनका रोष भी झेलना पड़ सकता है क्योंकि अगले कुछ महीनों बाद तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है। वैसे तो यह यात्रा भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश भरने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह यात्रा जोर-आजमाइश सरीखी है क्योंकि हिमाचल में अब दो पावर सेंटर बनते नजर आ रहे हैं। ऐसा आरोप लगता आ रहा है कि जयराम ठाकुर ने जानबूझकर कर हमीरपुर को अनदेखा किया है। जिले की सड़कें खस्ताहाल हैं, अस्पतालों में डॉक्टरों का अभाव है और किसी प्रकार की नई परियोजना की शुरुआत नहीं की गई है और न ही मंजूरी दी गई है उल्टा कई परियोजनाओं को उन्होंने मंडी स्थानांतरित कर दिया है।
अनुराग ठाकुर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समर्थक पूरे जोश में हैं। स्वयं प्रेम कुमार धूमल भी इस आशीर्वाद यात्रा के लेकर उत्साहित हैं और कहते हैं कि अब निराशा को आशा में बदलना है। वह कहते हैं कि आगे अच्छा समय है और हम सब जनता के लिए काम कर रहे हैं। अनुराग ठाकुर के समर्थक अब जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगाते नजर आ रहे हैं और इसके साथ ही जन आशीर्वाद यात्रा को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक यात्रा का प्रारूप देते नजर आ रहे हैं, मतलब एक नई कहानी लिखने की तैयारी भाजपा के भीतर चल रही है। यात्रा को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में इतना जोश है कि वह यह दिखाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं कि धूमल परिवार का जलवा पूरे प्रदेश में कायम है। प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण सिंह ठाकुर भी जन आशीर्वाद यात्रा पर निगाहें टिकाए हुए हैं और सारी रूपरेखा संगठन के साथ मिलकर परिवार भी तय करता नजर आ रहा है। विशेष रूप से हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में इस यात्रा का क्या प्रारूप होगा इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके छोटे बेटे अरुण सिंह ठाकुर इसकी रूपरेखा तय करने में जुटे हैं।
-विजय शर्मा