मंदिर में कैसे होगी प्राण-प्रतिष्ठा
आपको बता दें कि रामलला की तीन मूर्तियां बनाई जा रही हैं। वहीं प्रतिमा का चयन होने के बाद जनवरी के दूसरे सप्ताह में सरयू नदी में अभिषेक कराया जाएगा। फिर अभिषेक के बाद अयोध्या मंदिर में पूरे जुलूस के साथ ले जाया जाएगा। इसके बाद राम मंदिर के दूसरे द्वार से गर्भगृह में प्रतिमा को लाया जाएगा। प्राण-प्रतिष्ठा होने तक रामलला की आंखों पर पट्टी बंधी रहेगी। फिर मंत्रोच्चारण के बीच आंखों से पट्टी हटाई जाएगी और प्रतिमा को 22 को को मुख्य अनुष्ठान के साथ दुनिया के सामने लाया जाएगा।
क्यों बनाई जा रही नई मूर्ति
अगर आपको जानकारी हो, तो पहले से रामलला की शिशु अवस्था में मूर्ति है। लेकिन इसके बाद भी नई मूर्ति क्यों बनाई जा रही है। तो आपको बता दें कि मान्यता के मुताबिक श्री रामलला अयोध्या में प्रकट हुए थे। तब से बिना किसी रुकावट से रोजाना इसी स्थान पर उनकी पूजा की जा रही है। ऐसे में अब जो भक्त दर्शन के लिए आएंगे। तो वह 25-30 फीट की दूरी से रामलला के दर्शन कर सकेंगे। ऐसे में बड़ी प्रतिमा की जरूरत होगी। वहीं पुरानी मूर्तियों को गर्भगृह में रखा जाएगा। वहीं नई मूर्ति अचल होगी जो हमेशा गर्भगृह में मौजूद होगी। वहीं अन्य उत्सव मूर्तियां होंगी, जो शोभायात्रा के दौरान निकाली जा सकती हैं।
किन धातुओं या पत्थर से बनी हैं तीनों मूर्तियां
अयोध्या में बन रही तीन मूर्तियां अलग-अलग पत्थर व धातुओं की बनी हैं। एक मानदंड के पत्थर का उपयोग मूर्तियों के लिए किया जाएगा। इनमें कुछ रासायनिक गुण भी पाए जाएंगे। इसके लिए जयपुर, कर्नाटक और दक्षिण भारत से पत्थर लाए गए हैं। इन पत्थरों को अलग-अलग मूर्तिकारों को दिया गया है। वहीं गोपनीय तरीके से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही इनमें किसी धातु का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। वहीं पूरे मंदिर का निर्माण खास पत्थरों किया जा रहा है, जिससे ये मंदिर हजारों साल तक चलता रहेगा।
कितना बड़ा होगा राम मंदिर और कहां तक पहुंचा काम
राम मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है। वहीं इसका निर्माण 57000 वर्ग. फीट में है। मंदिर के शिखर समेत इसकी ऊंचाई 161 फीट होगी। मंदिर तीन मंजिला होगा और हर मंदिल की ऊंचाई 20 फीट है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया था। तब से इस काम में 3500 कर्मचारी दिन-रात कार्य कर रहे हैं। निर्माण पूरा करने की समय सीमा 31 दिसंबर 2023 था। अभी फिलहाल मंदिर निर्माण अपनी समाप्ति की ओर है। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर में प्रभु राम की कथा को पत्थर में उकेरा जाएगा। मिट्टी परीक्षण के बाद विशेषज्ञों की सलाह पर मंदिर निर्माण में 15 मीटर गहराई तक मिट्टी हटाकर दूसरी मिट्टी भरने की सलाह दी। जिससे कि अगर यहां पर 50 गुना तीव्रता से भी भूकंप आए, तो मंदिर को कोई खतरा नहीं होगा।
सरयू नदी की बाढ़ का मंदिर पर असर और क्यों लाए गए अतिरिक्त श्रमिक
राम मंदिर की मिट्टी में विशेष प्रकार का सीमेंट मिलाया गया है। परत दर परत 47 परतें जोड़कर फाउंडेशन तैयार किया गया है। वहीं सरयू नदी में बाढ़ के मुद्दे की भी प्रमुखता से जांच की गई है। जिससे कि मंदिर को बाढ़ का कोई खतरा न रहे। आपको बता दें राम मंदिर का निर्माण लार्स एंड टर्बो कंपनी कर रही है। वहीं इस काम की निगरानी का जिम्मा टाटा कंसल्टेंसी उठा रही है। इस काम में कुशल श्रमिकों को लगाया गया है। राम मंदिर में करीब 300 स्तंभ हैं और हर स्तंभ पर 30 मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इस काम में उड़ीसा के दक्ष कारीगरों का लगाया गया है। राजस्थान से कुशल कारीगर पत्थर के काम के लिए आए हैं। अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग जगहों से लोगों को लाया गया है। इसमें गुजरात, राजस्थान, पश्चिम भारत और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रमिकों को लाया गया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की भूमिका
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ही मंदिर निर्माण के बाद पूरा प्रशासनिक काम करेगा। मंदिर निर्माण के बाद ट्रस्ट को सभी प्रशासनिक कार्य भी करने होंगे। जैसे भक्तों की सुविधाएं, भीड़ नियंत्रण और धन प्रबंधन आदि के मामले आदि भी ट्रस्ट को मैनेज करने होंगे। इन सभी कार्यों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। अब तक देश के लोगों के माध्यम से साढ़े तीन हजार करोड़ का दान आ चुका है। यह सारा दान ट्रस्ट के खाते में जमा किया गया है। ट्रस्ट को इसका भी हिसाब देना होगा।
कैसी होगी सुरक्षा व्यवस्था
दो चरणों में राम मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की जाएगी। जहां पहले चऱण में मंदिर क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी ट्रस्ट की होगी। वहीं ट्रस्ट खुद यह सुरक्षा व्यवस्था करेगा। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार पूरी सुरक्षा व्यवस्था देखेगी। जिस तरह वीआईपी लोगों की सुरक्षा के लिए एसपीजी कमांडो होते हैं। ठीक उसी तरह पुलिस बल के कुछ लोगों को मंदिर की सुरक्षा में लगाया जाएगा।