By रेनू तिवारी | Jul 27, 2022
तमिलनाडु पिछले कुछ दिनों से काफी सुर्खियों में हैं। पिछले दो हफ्तों में तमिलनाडु में कथित छात्र आत्महत्या का चौथा मामला सामने आया हैं। एक 17 वर्षीय कक्षा 11 की लड़की ने मंगलवार को शिवकाशी के पास अय्यंबट्टी इलाके में अपने आवास पर फांसी लगा ली। राज्य में छात्र आत्महत्या का यह चौथा हालिया मामला है। लड़की कन्नन और मीना की छोटी बेटी थी। एक पटाखा फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने वाले दंपति उस समय काम पर थे जब उनकी बेटी ने यह कदम उठाया।
लड़की स्कूल से लौटी थी। घर पर मां-बाप नहीं थे वह दोनों काम पर गये थे। घर के अंदर बस दादी थी। दादी घर के बाहर कुछ काम से गयी तभी बच्ची ने घर के अंदर यह बड़ा कदम उठाया और खुद को मौत के घाट उतार लिया। बुजुर्ग महिला जब घर लौटी तब उनसे देखा कि उसकी पौती ने अपने आपको फांसी लगा ली थी। उसने तुरंत मदद के लिए फोन किया, जिसके बाद उसके पड़ोसियों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी।
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में सोमवार को 12वीं कक्षा की एक लड़की अपने घर में मृत पाई गई। मां के डांटने से परेशान होकर उसने फांसी लगा ली जब उसके माता-पिता घर पर नहीं थे। सोमवार की तड़के, तिरुवल्लुर जिले के एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में छात्रावास के कमरे में 12 वीं कक्षा की एक और लड़की की कथित तौर पर आत्महत्या कर ली गई।
13 जुलाई को कल्लाकुरिची से इस तरह का पहला मामला सामने आया था। 12वीं कक्षा का एक छात्र स्कूल परिसर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। तमिलनाडु में एक छात्रों की आत्महत्या का मामला तूल पकड़ चुका था। बच्ची की मौत के बाद पूरे शहर में हिंसात्मक घटनाएं हुई। उसके माता-पिता को गड़बड़ी का संदेह था और उसने शरीर को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और यहां तक कि अपनी पसंद के डॉक्टर की उपस्थिति में पुन: पोस्टमॉर्टम के लिए अदालत के हस्तक्षेप की भी मांग की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इस घटना के कारण 17 जुलाई को हिंसा हुई और स्कूल में तोड़फोड़ की गई, दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को जला दिया गया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को छात्रों से आत्महत्या की प्रवृत्ति से दूर रहने और इसके बजाय सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी छात्रा के उत्पीड़न की घटनाओं पर मूक दर्शक नहीं बन सकती। स्टालिन ने छात्राओं के आत्महत्या करने की हालिया घटनाओं पर नाराजगी जताते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों को चलाने वाले लोगों की मंशा सेवा होनी चाहिए और उन्हें अपने प्रतिष्ठानों को व्यावसायिक उपक्रम नहीं मानना चाहिए। स्टालिन ने छात्राओं के साथ बार-बार होने वाली घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह टिप्पणी की। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रवादी कवि महाकवि भारती के उन श्लोकों का हवाला देते हुए कहा, जो बच्चों को साहसपूर्वक विरोध करने और परेशान करने वालों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बालिकाओं को परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। स्टालिन ने शहर के एक कॉलेज में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छात्राओं के यौन, मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न की घिनौनी घटनाओं पर सरकार मूकदर्शक नहीं बन सकती। स्टालिन ने कहा, छात्र केवल डिग्री हासिल करने के लिए कॉलेज नहीं आते।