By रेनू तिवारी | Nov 22, 2019
नयी फिल्म। अगर आपके पास दिमाग है तो कृपया करके 3 घंटे के लिए उसे बिल्कुल न लगाए, क्योंकि फिल्म पागलपंती पर दिमाग लगाकर आप बीमार हो सकते हैं बहुत बीमार!! जब बड़ी-बड़ी कॉमेड़ी फिल्म बनाने वाले अनीस बज्मी ने फिल्म को बनाते वक्त दिमाग नहीं लगाया तो आपको क्या जरूरत है। मैंने तो रिव्यू लिखने के लिए फिल्म देखते वक्त दिमाग लगाया था लेकिन मेरा हाल तो पीके के आमिर खान की तरह हो है। सहब कुछ लोस्ट!!! समझ नहीं आ रहा की आखिर बॉलीवुड को हो क्या गया है। फिल्मों के नाम पर सुपरस्टारों की फौज खड़ी कर देते हैं और पैसा पानी की तरह बहा देते हैं लेकिन कहानी और स्क्रिप्ट पर बिल्कुल काम नहीं करते। बिना अश्लिलता फैलाए कॉमेडी राइटर्स ने हंगामा, हलचल, हैरा-फैरी जैसी फिल्में लिख कर बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था। आज फूहड़ डायलॉग्स की हदें पार करने क भी फिल्म तक दर्शकों को खीच नहीं पाते। मल्टीस्टारर कॉमेडी फिल्म 'पागलपंती' भी एक ऐसा ही जीता-जागता उदाहरण पेश करती है।
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फिल्म की कहानी
जैसा की पहले ही बता चुकी हूं कि फिल्म में कहानी ढूंढना सबसे बड़ी जंग है काफी मशक्कत के बाद भी आपको फिल्म के सिर-पैर अलग ही मिलेंगे। जितनी मुझे समझ आयी है आपको बता देती हूं। फिल्म की कहानी में मुख्य तीन किरदार है जो हद से ज्यादा बदकिस्मत है। इनमे से एक है राज किशोर (जॉन अब्राहम) जिनपर सबसे बड़ी साढ़े साती लगी हुई है। राज जो भी काम करता है या जिसके साथ काम करता है उसका बंटाधार हो जाता है। राज की बदकिस्मत के चलते देश का पैसा नीरज मोदी लेकर विदेश भाग जाता है। नीरज मोदी के भागने के बाद राज किशोर लंदन चले जाते हैं और वहां उसकी मुलाकात जंकी (अरशद वारसी) और चंदू (पुलकित सम्राट) से होती है। तीनो की स्वार्थ से भरी दोस्ती होती है और तीनो मिलकर बिजनेस करने की सोचते है, लेकिन राज की खराब किस्मत के कारण वो बिजनेस भी बर्बाद हो जाता है। फिर इन सब की मुलाकात संजना (इलियाना डिक्रूज) से होती है और उनको भी बिजनेस करने की लालच देते है और संजना का पैसा भी डूबा दे है। इसके बाद वो परिस्थतियों में फंसकर वाई फाई भाई (अनिल कपूर ) और राजा साहब (सौरभ शुक्ला) के पास पहुंच जाते हैं, जो कि डॉन हैं। वहीं चंदू की मुलाकात जाह्नवी (कीर्ति खरबंदा) से होती है। राज, चंदू और जंकी तीनों मिलकर अंडरवर्ल्ड के बीच फंस जाते हैं और इसी सब में उनकी मुलाकात नीरज मोदी से होती है। इसके बाद सब नीरज मोदी से पैसा निकलवाने की कोशिश में लग जाते हैं।
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फिल्म 'पागलपंती' का रिव्यू
डायरेक्शन
अनीस बज्मी ऐसी कॉमेडी डायरेक्टर है जिन्होंने शानदार कॉमेडी फिल्में बनाई है, लेकिन उसकी इस फिल्म ने काफी निराश किया है। अनीस एक अच्छे निर्देशक है लेकिन इस फिल्म में सच में उन्होंने दिमाग नहीं लगाया बस बना दी है। फिल्म का डायलॉग डिलिवरी बेहद खराब है और एडिटिंग में भी कई जगह दिक्कत है। पूरी फिल्म उसी पुराने अंदाज की घिसी-पीटी फिल्म लग रही है। ज्यादातर सीन देखने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आपने पहले भी ये सीन या इससे मिलता- जुलता कुछ देखा हुआ है।
कलाकार
कहते है कि कहानी अगर ज्यादा खास नहीं है तो भी फिल्म की कास्ट अपनी एक्टिंग से फिल्म को फ्लॉप होने से बचा लेती है लेकिन कहानी का सिर-पैर ही ना हो तो ईश्वर भी इसे नहीं बचा सकता ये तो सिर्फ कलाकार है। कलाकरों ने अपने-अपने किरदारों के हिसाब से सही एक्टिंग की है। अनिल कपूर और सौरभ शुक्ला मंझे हुए कलाकारों को स्क्रीन पर ज्यादा कुछ करते हुए नहीं देखा गया। अरशद वारसी जैसे अभिनेता के पास भी वहीं रटी-रटाई स्क्रिप्ट थी, जिसे उन्होंने पढ़ किया है। इलियाना डिक्रूज, कीर्ति खरबंदा और उर्वशी रौतेला को भी फिल्म में ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला है। कुल मिला कर एक्टर्स भांप गये थे कि फिल्म का हाल क्या होगा इस लिए उन्होंने भी अपना 100 प्रतिशत नहीं दिया।
फिल्म - पागलपंती
निर्देशक - अनीस बज्मी
स्टारकास्ट - जॉन अब्राहम, अनिल कपूर, अरशद वारसी, पुलकित सम्राट, इलियाना डिक्रूज, उर्वशी रौतेला, कीर्ति खरबंदा और सौरभ शुक्ला
रेटिंग - 1/2 (1.5)