Amrita Pritam Birth Anniversary: समाज के बंधनों को तोड़ अपनी शर्तों पर जिंदगी जीती थीं अमृता प्रीतम

By अनन्या मिश्रा | Aug 31, 2024

भारतीय उपन्यासकार, कवियत्री और चित्रकारी रही अमृता प्रीतम का आज ही के दिन यानी की 31 अगस्त को जन्म हुआ था। वह पहली महिला कवियत्री और लेखिका थीं, जो पंजाबी भाषा में लिखती थीं। जितना दिलचस्प और खूबसूरत उनका लेखन था, उतनी ही दिलचस्प उनकी जिंदगी थी। अमृता प्रीतम ने जो लिखा, किया या जिया, वह सब उनके जमाने से बहुत आगे की बातें थीं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर अमृता प्रीतम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

पंजाब के गुजरांवाला जिले में 31 अगस्त 1919 को सिख परिवार में अमृता कौर का जन्म हुआ था। यह स्थान अब पाकिस्तान में है। अमृता कौर के पिता एक सम्मानित व्यक्ति होने के साथ ही खाली समय में प्रचारक के रूप में सेवा किया करते थे। महज 11 साल की उम्र में अमृता प्रीतम की मां का निधन हो गया और इसके बाद वह अपने पिता के साथ लाहौर चली गईं। 

इसे भी पढ़ें: Bhikaji Rustam Cama Death Anniversary: भीमाजी कामा ने फहराया था विदेश में भारतीय झण्डा, ऐसे लड़ी थी आजादी की लड़ाई

लेखन में सुकून

आपको बता दें कि मां की मौत के बाद अमृता कौर ने भगवान पर विश्वास खो दिया था। वहीं लाहौर में वह महज 11-12 साल की उम्र से कविताएं लिखने लगीं औऱ लेखन से उन्हें सुकून मिलने लगा। साल 1936 में वह एक प्रकाशित लेखिका बन गईं और महज 17 साल की उम्र से अमृता कौर ने 'अमृत लहरें' नामक शीर्षक से कविता के संकलन को जारी किया। फिर साल 1936 से लेकर 1943 तक उनके कविताओं के करीब 6 संग्रह प्रकाशित हुए।


प्रेम ने बदल दिए मायने

लाहौर के एक धनी व्यापारी के बेटे से प्रीतम सिंह से अमृता की साल 1935 में शादी हो गई। लेकिन शादी के बाद अमृता कौर के अपने पति से संबंध अच्छे नहीं रहे। जिसके बाद साल 1960 में दोनों अलग हो गए। लेकिन अमृता ने अपने पति का नाम हमेशा के लिए अपना लिया और उन्होंने अपना नाम अमृता प्रीतम कर लिया। इसके बाद साल 1944 में अमृता की मुलाकात साहिर लुधियानवी से हुई। साहिर भी कवि थे और बाद में वह फेमस गीतकार बन गए। लेकिन इस प्यार के बीच धर्म की दीवार बनी रही। साहिर लुधियानवी को अमृता प्रीतम आखिरी सांस तक नहीं भूल पाईं।


तभी उनकी मुलाकात इमरोज से हुई, जोकि कलाकार और लेखक थे। जिस जमाने में लोग प्रेम विवाह करने में आगे नहीं आते थे, उस जमाने में अमृता प्रीतम ने इमरोज के साथ लिव इन में रहना शुरूकर दिया। 


अमृता प्रीतम ने करीब 28-30 उपन्यास, गद्य में 18 संकलन, 5 लघु कथाएं लिखीं। अमृता को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान से भी बहुत प्यार मिला। देश के बंटवारे के बाद वह दिल्ली आकर बस गईं। दिल्ली में रहने के दौरान वह कई सालों तक ऑल इंडिया रेडियो के लिए काम करती रहीं।


अवॉर्ड

अमृता प्रीतम को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वह 'पंजाब रत्न' पुरस्कार पाने वाली पहली महिला थीं। फिर साल 1956 में उन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। साल 1982 में 'ज्ञानपीठ', साल 1969 में 'पद्म श्री' से नवाजा गया।


मृत्यु

कला और साहित्य में अद्भुत योगदान देने वाली अमृता प्रीतम का 31 अक्तूबर 2005 को निधन हो गया।

प्रमुख खबरें

दोस्त इजरायल के लिए भारत ने कर दिया बड़ा काम, देखते रह गए 193 देश

Nawada Fire: CM Nitish के निर्देश के बाद पुसिल का एक्शन, 16 लोगों को किया गिरफ्तार, पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग

Ukraine पहुंचे भारत के हथियार, रूस हो गया इससे नाराज, विदेश मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट को बताया भ्रामक

Waqf Board case: आप विधायक अमानतुल्लाह खान की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से रिपोर्ट मांगी