By अंकित सिंह | May 01, 2024
अमेठी और रायबरेली का जिक्र आते ही सीधे गांधी परिवार का नाम सामने आ जाता है। अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, वर्तमान में देखें तो यह दोनों सीटें गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए कहीं ना कहीं सबसे कमजोरी बनती दिखाई दे रही हैं। इसका बड़ा कारण यह भी है कि नामांकन को लेकर आखिर के 2 दिन बचे हुए हैं। लेकिन कांग्रेस गांधी परिवार के गढ़ के लिए उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है। कभी खबर आती है कि राहुल गांधी अमेठी और प्रियंका गांधी रायबरेली से लड़ेंगे, कभी खबर आती है कि सिर्फ प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी, कभी खबर आती है कि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे, कभी खबर आती है कि यह दोनों चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस गांधी परिवार के गढ़ को लेकर इतनी कन्फ्यूजन की स्थिति में क्यों है?
उम्मीदवारों के नाम के ऐलान में कांग्रेस की ओर से जितनी देरी की जा रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि कहीं ना कहीं अमेठी और रायबरेली को लेकर पार्टी के भीतर असमंजस की स्थिति है। खबर यह आ रही है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ही अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। बावजूद इसके दोनों में से किसी एक को मनाने की कोशिश की जा रही है। इसका बड़ा कारण यह है कि कार्यकर्ताओं में उत्साह बरकरार रखने के लिए उत्तर भारत में गांधी परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ना बेहद जरूरी है। कांग्रेस इस बात को भली-भांति समझती है। इसके अलावा अगर उत्तर भारत के किसी सीट से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ता है तो भाजपा को बड़ा मौका कांग्रेस पर निशाना साधने का मिल जाएगा। प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा अमेठी को लेकर अपनी दिलचस्पी जरूर दिखा रहे हैं। लेकिन उनके नाम पर सहमति भी नहीं बन पा रही है। साथ ही साथ कांग्रेस को इस बात का भी डर है कि परिवारवाद को लेकर भाजपा और भी आक्रामक हो सकती है। अमेठी में राहुल गांधी को 2019 में हार मिली थी। वहीं सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद रायबरेली से कांग्रेस को किसी नए उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतरना है।
कांग्रेस लगातार यह दावा कर रही है कि पार्टी के भीतर अमेठी और रायबरेली को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है। सही समय पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। मामला बढ़ा तो आज पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने भी बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति ने पार्टी अध्यक्ष को अमेठी और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार दे दिया है। अगले 24-30 घंटों में कांग्रेस अध्यक्ष उम्मीदवारों को अंतिम रूप देंगे और उनके फैसले की औपचारिक घोषणा की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई इस तरह की बातें कर रहा है कि हम अमेठी या रायबरेली में उम्मीदवार उतारने को लेकर डरे हुए हैं तो ये सरासर गलत है. ऐसा कुछ भी नही है. समय आने पर हम उम्मीदवारों की घोषणा भी करेंगे। राजीव शुक्ला ने कहा कि गांधी परिवार बहुत लोकप्रिय है और उनकी सार्वजनिक सभाओं में लाखों लोग आ रहे हैं और अब यह निर्णय (उम्मीदवारी की घोषणा का) कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति पर छोड़ दिया गया है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन जितना भ्रम है उससे पता चलता है कि उनमें आत्मविश्वास की कमी है। उत्तर प्रदेश में स्थिति यह है कि वे अपनी पारंपरिक सीटें छोड़कर भाग गये हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राहुल गांधी अमेठी में चुनाव हार गए और भाग गए और अब वे वायनाड से भागने की क्यों सोच रहे हैं? उनके मन में भय का भाव रहता है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस बार बीजेपी अमेठी में अपनी जीत दोहराएगी और रायबरेली में कमल (बीजेपी पार्टी का चुनाव चिह्न) खिलाएगी. हमारा लक्ष्य उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करना है और हमारा फोकस अमेठी, रायबरेली, कन्नौज और मैनपुरी में बड़े अंतर से कमल खिलाना है ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि यह बीजेपी का गढ़ है न कि कांग्रेस का या एसपी। यहां तैयारियां चल रही हैं।