By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 24, 2019
यरूशलम। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने ईरान को रविवार को आगाह करते हुए कहा कि वह “अमेरिका की समझदारी को उसकी कमजोरी समझने की भूल न करे।” इससे पहले अमेरिका ने ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने के जवाब में किए जाने वाले सैन्य हमलों को अचानक रद्द कर दिया था। बोल्टन के इस सख्त संदेश को न सिर्फ ईरान को चेतावनी दिए जाने के तौर देखा जा रहा है बल्कि यह अमेरिका के मुख्य सहयोगियों को भी इसको लेकर आश्वस्त करता प्रतीत होता है कि व्हाइट हाउस ईरान पर दवाब बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
खाड़ी में अरब देशों के साथ ही इजराइल ईरान को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और ईरान पर हमले को अंतिम क्षणों में रद्द किए जाने के ट्रंप के फैसले से इस्लामी गणराज्य के खिलाफ बल प्रयोग की अमेरिका की मंशा पर सवाल उठते हुए प्रतीत हो रहे हैं। बृहस्पतिवार को अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने की घटना से अमेरिका एवं ईरान के बीच बढ़ते तनाव नये स्तर पर पहुंच गए।
ईरान एवं वैश्विक ताकतों के बीच 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने आर्थिक प्रतिबंधों की झ़डी लगा कर और क्षेत्र में अमेरिकी बलों की मौजूदगी बढ़ा कर ईरान पर “अधिकतम दवाब” बनाने का संकल्प लिया था।
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह यह जानने के बाद प्रस्तावित हमलों से पीछे हट गए कि इसमें 150 लोग मारे जाएंगे। लेकिन बोल्टन ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका बाद में किसी समय ईरान पर हमला करने का अधिकार रखता है। उन्होंने कहा कि ईरान पर नये प्रतिबंधों की घोषणा सोमवार को किये जाने की उम्मीद है। बोल्टन ने यरूशलम में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में कहा कि किसी ने भी उन्हें पश्चिम एशिया में हमले करने का लाइसेंस नहीं दिया है। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा हमारी सेना में नयी ऊर्जा है और वह हर परिस्थिति के लिए तैयार है।
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बोल्टन ने इसके साथ ही ट्रंप के पूर्ववर्ती टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा, “और जैसा कि उन्होंने कल स्पष्ट कर दिया था, मैंने अभी फिलहाल हमला रोक दिया है। बोल्टन अपने इजराइली एवं रूसी समकक्ष मीर बेन शब्बत और निकोलाई पत्रुशेव के साथ पहले से तय त्रिपक्षीय मुलाकात के लिए इजराइल में मौजूद थे। बोल्टन के साथ मौजूद नेतन्याहू ने भी अमेरिका का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भर के संघर्षों में ईरान की संलिप्तता परमाणु समझौते के परिणामों की वजह से बढ़ गई है।