अमरनाथ यात्रा के लिए बड़ी संख्या में आ रहे हैं भोले के भक्त, सुरक्षा तगड़ी

By सुरेश डुग्गर | Jun 29, 2019

रविवार यानि 30 जून की सुबह पहला जत्था बाबा अमरनाथ की पवित्र यात्रा के लिए रवाना होगा। अगर मौसम ने साथ दिया तो 30 जून की शाम को ही पहले जत्थे के श्रद्धालु 14500 फुट की ऊंचाई पर बनने वाले हिमलिंग के प्रथम दर्शन करेंगे। यात्रा में शामिल होने जा रहे लाखों श्रद्धालुओं की सेवा के लिए लखनपुर से लेकर पवित्र गुफा तक 150 से अधिक लंगरों की व्यवस्था स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की गई है। यही नहीं सेना समेत एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी करीब 60 दिनों तक लखनपुर से लेकर गुफा तक श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहेंगे। खुफिया अधिकारियों के इस रहस्योद्घाटन के पश्चात कि अमरनाथ यात्रा इस बार आतंकी हमलों से दो-चार हो सकती है, यह यात्रा सभी के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने जा रही है। उनके मुताबिक, कई आतंकी इस टास्क को लेकर कश्मीर के भीतर घुस चुके हैं और वे यात्रा मार्गों के आसपास के इलाकों में डेरा जमाए हुए हैं।

 

प्रतिदिन 15 हजार श्रद्धालुओं को पहलगाम तथा बालटाल के रास्ते यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई है। अभी तक करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण विभिन्न माध्यमों से करवाया है जबकि मौके पर पंजीकरण की व्यवस्था को भी एकाध दिन में खोल दिया जाएगा। यात्रा का मुख्य बेस कैंप जम्मू के यात्री भवन में बनाया गया है जहां पिछले कई दिनों से चल रही तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। हालांकि इस बार मानसून और यात्रा के आरंभ का एक ही दिन होने के कारण श्रद्धालुओं को चिंता इस बात की है कि खराब मौसम से परेशानी यात्रा मार्ग में भी हो सकती है। दोनों मार्गों पर दो दिनों से मौसम बार-बार आंख-मिचौली खेल रहा है।

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जम्मू से लेकर बालटाल तथा पहलगाम तक के यात्रा मार्ग की सुरक्षा को केरिपुब के हवाले किया जा चुका है। पहलगाम से गुफा तथा बालटाल से गुफा तक के रास्तों पर सेना और बीएसएफ भी स्थानीय पुलिस का साथ दे रही है। अनुमानतः कुल एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी यात्रा के मोर्चे पर तैनात किए जा चुके हैं। यही नहीं राज्य प्रशासन से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री तक सभी का ध्यान अब अमरनाथ यात्रा के प्रति ही इसलिए है क्योंकि यह अब धार्मिक से राष्ट्रीय यात्रा का रूप धारण कर चुकी है जिस कारण आतंकी नजरें भी इस पर टिकी हुई हैं।

 

आने वाले करीब 5 से 8 लाख श्रद्धालुओं के लिए 150 से अधिक लंगरों की स्थापना के साथ-साथ ठहरने की व्यवस्थाओं का इंतजाम अंतिम चरण में था। स्वास्थ्य सेवाएं हाई अलर्ट पर कर दी गई थीं क्योंकि पिछले कई सालों से यात्रा में शामिल होने वालों में 100 के करीब प्रतिवर्ष हृदयगति रूकने से मौत के मुंह में जा रहे हैं। आतंकवादी भी अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और इसकी पुष्टि वे सुरक्षाधिकारी कर रहे हैं जिनके जिम्मे अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा का भार है। इन अधिकारियों ने बताया कि ऐसे वायरलेस संदेश सुने गए हैं तथा मारे गए आतंकवादियों के कब्जे से बरामद दस्तावेज दर्शाते हैं कि आतंकवादियों ने अब रणनीति को बदलते हुए पर्यटकों और अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की तैयारियां की हैं। इसकी खातिर पहले से ही एनएसजी कमांडो के साथ-साथ ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है।

 

ऐसे में केंद्र की ओर से अतिरिक्त सुरक्षा बलों को अमरनाथ यात्रा मार्ग, गुफा के आसपास के इलाकों और यात्रियों की सुरक्षा की खातिर आधार शिविरों व राजमार्ग पर तैनात किया जा रहा है। अंदाजन एक लाख सुरक्षाकर्मियों को अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया है। इसमें वे सैनिक शामिल नहीं हैं जो रूटीन में आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में अपने आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते रहते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, आतंकवादियों और उनकी हरकतों पर नजर रखने के लिए वायुसेना की भी मदद मांगी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि अमरनाथ यात्रा पहाड़ों से हो कर गुजरती है और पहाड़ों के चप्पे चप्पे पर सैनिकों को तैनात नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी अमरनाथ यात्रा के जत्थों की सुरक्षा के लिए वायुसेना के लड़ाकू हेलिकाप्टरों को भी तैनात किया गया है।

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खुफिया अधिकारियों के इस रहस्योद्घाटन के पश्चात कि अमरनाथ यात्रा इस बार आतंकी हमलों से दो-चार हो सकती है, यह यात्रा सभी के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने जा रही है। उनके मुताबिक, कई आतंकी इस टास्क को लेकर कश्मीर के भीतर घुस चुके हैं और वे यात्रा मार्गों के आसपास के इलाकों में डेरा जमाए हुए हैं। ऐसा इसलिए भी स्पष्ट है कि क्योंकि जहां एक ओर कश्मीर में आतंक के पांव तेजी से पुनः बढ़े हैं वहीं दूसरी ओर अमरनाथ यात्रा की शुरूआत के साथ ही हुर्रियत कांफ्रेंस और आतंकी गुटों के बीच मतभेद पनपने लगे हैं। ऐसे में सभी पक्षों को अमरनाथ यात्रा असुरक्षित लगने लगी है क्योंकि आतंकवादी इसे क्षति पहुंचाने की कोशिशों में अभी से जुट गए हैं। ऐसी आशंकाएं सेनाधिकारी प्रकट करने लगे हैं कि अमरनाथ यात्रा को हादसों से बचाना मुश्किल होगा।

 

कल यानि 30 जून को आरंभ होने जा रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा का चिंता का पहलू यह नहीं है कि तनाव और आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद इसमें कितने लोग भाग लेंगे बल्कि तनाव और बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के बीच इसे सुरक्षा कैसे मुहैया करवाई जाएगी। अभी तक का यही अनुभव रहा है कि यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु हमलों, नरसंहारों और बम धमाकों से कभी घबराए नहीं हैं। रिकॉर्ड भी बताता है कि आतंकवादी पिछले करीब सात सालों से अमरनाथ यात्रा को निशाना बना बीसियों श्रद्धालुओं की हत्याएं करने में कामयाब रहे हैं तो प्रकृति भी अपना रंग अवश्य दिखाती आई है।

 

बकौल अधिकारियों के, एक बार फिर अमरनाथ यात्रा प्रशासन तथा सुरक्षा बलों के लिए अग्निपरीक्षा साबित होगी। ऐसा होने के पीछे के कई स्पष्ट कारण हैं। पाकिस्तानी सेना की गुप्तचर संस्था आईएसआई राज्य में हाहाकर मचाना चाहती है और वह कुछ ऐसा अंजाम देने की कोशिशों में हैं जिससे भारत का गुस्सा और भड़के तथा सब्र का बांध टूट जाए और अमरनाथ यात्रा से अच्छा कोई अवसर उन्हें नहीं मिल सकता।

सुरक्षाधिकारियों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा पर इस बार सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है। हालांकि यह अब कड़वी सच्चाई बन गई है कि तमाम सुरक्षा प्रबंधों को धत्ता बताते हुए आतंकी अमरनाथ यात्रा को प्रत्येक वर्ष भारी क्षति पहुंचाने में कामयाब रहते हैं। नतीजतन इस बार सुरक्षाधिकारियों की चिंता दोगुनी है। पहला कारण, सुरक्षा बलों की भारी कमी के चलते उन्हें चिंता इस बात की लगी हुई है कि 45 किमी लम्बे दुर्गम और पहाड़ी यात्रा मार्ग पर शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षा कैसे प्रदान की जाएगी तो दूसरा कारण आतंकवादी अपनी उपस्थिति की खातिर कुछ बड़ा कर दिखाने की फिराक में हैं।

 

इस बार राज्य प्रशासन की समस्याएं और बढ़ने की आशंका भी है क्योंकि सरकारी तौर पर इस बार 8 लाख से अधिक लोगों को यात्रा में शामिल होने की अनुमति देने की बात कही गई है तो पूर्व का अनुभव यही रहा है कि शामिल होने वालों की संख्या 4-5 लाख के आंकड़े को हर बार पार कर जाती है। हालांकि इस बार चिंता का विषय इसमें जितने आओ, उतने जाओ की सरकार की नीति भी है। अमरनाथ यात्रा के शुरू होने में अब 24 घंटों का समय बचा है। सुरक्षा बल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे इसलिए एक माह पूर्व सभी तैयारियां आरंभ तो की गई थीं पर वे अभी तक अधबीच में ही हैं। लगता है सब भोलनाथ पर छोड़ दिया गया है।

 

-सुरेश डुग्गर

 

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