By नीरज कुमार दुबे | Aug 26, 2023
कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा पाए उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को शुक्रवार शाम को जेल से रिहा कर दिया गया। हालांकि अभी दोनों खराब स्वास्थ्य के चलते अस्पताल में भर्ती हैं। अमरमणि और मधुमणि के बेटे अमनमणि ने इस बारे में कहा है कि स्वास्थ्य ठीक होने के बाद उनके माता पिता को घर लाया जायेगा। इस बीच, अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर राजनीति भी शुरू हो गयी है। चर्चाएं गरम हैं कि कई राजनीतिक दल अमरमणि को अपनी पार्टी में लेना चाहते हैं लेकिन देखना होगा कि क्या एक समय पूर्वांचल की राजनीति में तगड़ा दबदबा रखने वाले अमरमणि वापस राजनीति में आते हैं? इस बीच, मधुमिता शुक्ला की बहन ने अमरमणि की रिहाई के खिलाफ दायर अपनी याचिका उच्चतम न्यायालय में खारिज होने के बाद आशंका जताई है कि उनकी हत्या करवाई जा सकती है। दूसरी ओर, अमरमणि को लेकर चल रही राजनीतिक चर्चाओं के बीच बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन का भी बयान सामने आया है।
जहां तक अमरमणि की रिहाई की बात है तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया था। अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया था। अमरमणि की उम्र 66 वर्ष है और मधुमणि 61 वर्ष की हैं और इन दोनों ने सोलह साल की सजा पूरी कर ली है। त्रिपाठी दंपति फिलहाल बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हैं। गोरखपुर जेल के जेलर एके कुशवाहा ने बताया कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया। कुशवाहा ने बताया कि अमरमणि को 25-25 लाख के दो मुचलकों और मधुमणि को 25-25 लाख के दो मुचलकों पर रिहा किया गया है।
शुक्रवार शाम करीब 7.14 बजे जेलर एके कुशवाहा, बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। उनके साथ अमरमणि और मधुमणि के बेटे अमनमणि त्रिपाठी भी थे। कुशवाह ने वहां पत्रकारों को बताया कि अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी दोनों को न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया है। उधर, अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने बताया, ‘‘वे दोनों अस्पताल में बिस्तर पर हैं। मैं ही वह व्यक्ति था जिसने जेलर से मेरे माता-पिता की कस्टडी ली थी। रिहा होने के बाद दोनों की आंखों में आंसू थे।’’ अमनमणि त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके माता-पिता बीआरडी मेडिकल कालेज में चिकित्सकों की निगरानी में हैं और चिकित्सकीय सलाह के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अमनमणि ने कहा, "मेरे माता-पिता बहुत बीमार हैं और वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं, इसलिए डॉक्टरों की सहमति से उन्हें घर ले जाया जाएगा।" अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनु ने रिहाई पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ''मेरे माता-पिता बाहर आ रहे हैं, इस एहसास को शब्दों में व्यक्त कर पाना मुश्किल है। वे दोनों बूढ़े हैं और बीमार हैं। मेरे माता-पिता को मधुमेह है।’’
अमरमणि का राजनीतिक सफर
हम आपको बता दें कि महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों में 1996 से 2002 तक मंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वह समाजवादी पार्टी (सपा) में थे, जबकि इससे पहले वह बहुजन समाज पार्टी में थे। अमरमणि बसपा सरकार में भी मंत्री रहे हैं।
मधुमिता शुक्ला की बहन की प्रतिक्रिया
हम आपको यह भी बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इंकार कर दिया था। हालांकि न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इस कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने कहा कि उन्हें अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है।
निधि शुक्ला ने कहा, ‘‘मैंने आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों ने जेल की सजा का 62 फीसदी हिस्सा जेल से बाहर बिताया है। मैंने सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को दस्तावेज सौंप दिए हैं और बताया कि 2012 से 2023 के बीच वे जेल में नहीं थे। लंबी लड़ाई के बाद राज्य सूचना आयोग के माध्यम से मुझे जो सरकारी दस्तावेज मिले हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं।’’ शुक्ला ने कहा कि समय से पहले रिहाई पाने के लिए त्रिपाठी दंपति ने अधिकारियों को गुमराह किया है और इसी आधार पर हमने दंपति की रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
कब हुई थी मधुमिता की हत्या?
हम आपको याद दिला दें कि कवयित्री मधुमिता की नौ मई, 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त वह गर्भवती थीं। अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर, 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिनके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे। इस मामले की जांच सीबीआई को दी गयी थी। देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी दंपति की सजा को बरकरार रखा था।
आनंद मोहन की प्रतिक्रिया
बहरहाल, अमरमणि और मधुमणि की रिहाई के बाद बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा है कि अब उन नेताओं को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए जो उनकी रिहाई का विरोध कर रहे थे। हम आपको याद दिला दें कि एक आईएएस अधिकारी की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद और गैंगस्टर आनंद मोहन को नीतीश सरकार ने हाल में रिहा करवा दिया था। आनंद मोहन की रिहाई ‘जेल सजा क्षमादान आदेश’ के तहत हुई थी। इसके लिए बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे आनंद मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ था। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में आनंद मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे थे। लेकिन अप्रैल 2023 में उन्हें रिहा कर दिया गया था।